Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

खेल-कूद

भारतीय हॉकी के लिए वर्ष रहा आशापूर्ण  

Published

on

Loading

नई दिल्ली| एशियाई खेलों में 16 साल बाद स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जहां देश के खेल प्रेमियों को खुशी मनाने का मौका दिया वहीं, यह साल विवादास्पद तरीके से मुख्य कोच टेरी वॉल्श की विदाई के लिए भी याद किया जाएगा।

पिछले साल दिसंबर में पुरुषों के जूनियर विश्व कप में भारतीय जूनियर टीम के खराब प्रदर्शन के बाद साल की शुरुआत भी थोड़ी निराशाजनक रही। आठ देशों की इस हॉकी वर्ल्ड लीग (एचडब्ल्यूएल) टूर्नामेंट में टीम छठे स्थान पर रही।

टूर्नामेंट से एकमात्र सकारात्मक बात भारत की जर्मनी पर 5-4 की जीत रही।

बहरहाल, इसके बाद खिलाड़ी हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) में व्यस्त हो गए जिसे सरदार सिंह के नेतृत्व वाली दिल्ली वेवराइंडर्स टीम ने जीता।

इसके बाद भारतीय टीम विश्व कप की तैयारियों के लिए नीदरलैंड्स गई जहां उसे हार का सामना करना पड़ा। वॉल्श की कोचिंग में भारतीय टीम ने हालांकि शुरुआती सुधार विश्व कप में दिखाए। नतीजे भारतीय टीम के पक्ष में जरूर नहीं रहे।

इंग्लैंड और बेल्जियम के खिलाफ आखिरी मिनटों में हुए गोल की वजह से भारत को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद स्पेन से ड्रा और विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया से मिली 0-4 की हार ने हॉकी प्रेमियों को निराश किया।

भारतीय टीम दक्षिण कोरिया को 3-0 से हराने में कामयाब रही और नौवां स्थान हासिल किया।

इसके बाद तमाम आलोचनाओं और संभावनाओं के बीच भारतीय टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया। सेमीफाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को हराया और फाइनल में पहुंची। खिताबी मुकाबले में हालांकि टीम को लगातार दूसरी बार आस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भी फाइनल में भारत को आस्ट्रेलिया ने ही हराया था।

इसके बाद एक बड़ी बहस उस समय शुरू हुई जब किसी भी हॉकी खिलाड़ी को अर्जुन पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया। इस दौरान हॉकी इंडिया (एचआई) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के बीच वाद-विवाद भी मीडिया में छाया रहा।

इन सबके बीच भारतीय टीम ने हालांकि अपना सफर जारी रखा और उसे बड़ी सफलता इंचियोन एशियाई खेलों में मिली। दक्षिण कोरिया में आयोजित हुए टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय हॉकी टीम ने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर 1996 के बाद पहली बार एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता।

इस जीत के साथ ही भारतीय हॉकी टीम रियो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर गई।

इंचियोन एशियाई खेलों में मिली सफलता से उत्साहित भारतीय टीम ने इसके बाद आस्ट्रेलिया दौरे पर भी विश्व चैम्पियन को पांच मैचों की श्रृंखला में 3-1 से हराया।

दूसरी ओर अंडर-21 पुरुष टीम भी सुल्तान जोहोर कप खिताब बचाने में कामयाब रही। इन सभी सफलताओं के बाद वह लम्हा भी आया जब भारतीय हॉकी टीम के चौथे विदेशी कोच वॉल्श को पद छोड़ना पड़ा। उन पर आर्थिक अनियमितता का आरोप लगा।

खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और साई के प्रयासों के बावजूद वॉल्श भारतीय टीम से अलग हो गए।

एक हद तक इसका असर भुवनेश्वर में आयोजित हुए चैम्पियंस ट्रॉफी में नजर आया। भारत का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा और उसे जर्मनी और अर्जेटीना से हार का सामना करना पड़ा।

भारत ने हालांकि चैम्पियंस ट्रॉफी में 18 साल बाद नीदरलैंड्स को जरूर हराया। क्वार्टर फाइनल में टीम ने बेल्जियम को मात देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई जहां उसे पाकिस्तान से हारकर टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा।

कुल मिलाकर देखें तो यह पूरा साल भारतीय हॉकी के लिए अच्छे-बुरे अनुभव वाला रहा। नए साल में टीम अब नए कोच के नेतृत्व में निश्चित रूप से अपनी सफलता को और आगे ले जाना चाहेगी।

नए कोच पर हालांकि अब भी कोई फैसला नहीं हो सका है।

खेल-कूद

IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात

Published

on

Loading

पर्थ। भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए नया कीर्तिमान रच दिया है। टीम इंडिया ने पर्थ में 16 साल बाद पहला टेस्ट मैच जीता है। इससे पहले भारत ने साल 2008 में कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि यह मैच पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया। पहली पारी में 150 रन बनाने वाली टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में सिर्फ 104 रनों पर ढेर कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने अपनी दूसरी पारी 487/6 रन के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 534 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।

इस पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 238 रनों के स्कोर पर ढेर हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 295 रनों से हराकर बड़ा इतिहास रच दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया में न तो रोहित शर्मा थे, न ही शुभमन गिल, न ही रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन और न ही मोहम्मद शमी थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 161 रन और विराट कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में केेल राहुल ने भी 77 रनों की अहम पारी खेली। पहली पारी में टीम इंडिया 150 रनों पर सिमट गई थी पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का कमबैक करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को घुटनों पर ला दिया। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 104 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में टीम इंडिया ने कमाल का कमबैक करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 487 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। जिससे ऑस्ट्रेलिया को 534 रनो का टारगेट मिला। लेकिन चौथे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हरा दिया।

Continue Reading

Trending