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आध्यात्म

कामनाओं को छोड़ देने से ही लक्ष्‍य प्राप्‍त हो जायगा

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कामनाओं को छोड़ देने से ही लक्ष्‍य प्राप्‍त हो जायगा

kripalu ji maharaj

अर्थात् मन का वेग वायु से भी तीव्र है। यह सुनकर श्रीकृष्‍ण ने भी माना यथा-

असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् ।

(गीता 6-35)

इस मन का निग्रह हो ही नहीं सकता। यह एक क्षण को भी अकर्मा नहीं रह सकता । यथा-

नहि कश्र्चित्‍क्षणमपि जातु तिष्‍ठत्‍यकर्मकृत् ।

(गीता 3-5, भाग. 6-1-53)

अतः इस चंचल मन को चंचल श्रीकृष्‍ण में लगा देना ही निग्रह समझना चाहिये। अन्‍यथा तो बड़े-बड़े योगीन्‍द्र जितेन्द्रिय भी मन से हार चुके हैं। यथा- भागवत् –

विजितहृषीकवायुभिरदान्‍तमनस्‍तुरगम् ।

(भाग. 10-87-33)

राधे राधे राधे राधे राधे राधे

कोउ कह तजु सब काम कोउ, कह भजु सुंदर श्‍याम।

हौं कह दोउ इक संग करु, तब हो पूरन काम।। 37।।

भावार्थ- कोई कहता है कि कामनाओं को छोड़ दो। एवं कोई कहता है कि केवल श्‍याम भजन करो। मेरी राय में दोनों भोले हैं। अतः कामना त्‍याग एवं हरि अनुराग साथ-साथ करना है।

व्‍याख्‍या- शास्‍त्रों में कहा है कि कामनाओं को छोड़ देने से ही लक्ष्‍य प्राप्‍त हो जायगा। यथा वेद-

यदा सर्वे प्रमुच्‍यन्‍ते कामा येऽस्‍य हृदिश्रिताः।

अथ मर्त्‍योऽमृतो भवत्‍यत्र ब्रह्म समश्नुते।।

(कठोप. 2-3-14)

शास्‍त्रों में यह भी कहा है कि श्रीकृष्‍ण भक्ति ही करो। यथा-

वेद-

भक्तिरेवैनं नयति भक्तिरेवैनं पश्‍यति भक्तिरेवैनं दर्शयति।

भक्तिवशः पुरुषो भक्तिरेव भूयसी।

(माठरश्रुति, सुबालोप.)

यस्‍य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरौ।

तस्‍यैते कथिता ह्यर्थाः प्रकाशन्‍ते महात्‍मनः।।

(श्‍वेता. 6-23)

वेदव्‍यास-

आलोड् य सर्वशास्‍त्राणि विचार्य च पुनः पुनः।

इदमेकं सुनिष्‍पन्‍ नं ध्‍येयो नारायणो हरिः।

(स्‍कन्‍द पु., महाभारत)

तथ्‍य यह है कि बिना परमानन्‍द प्राप्ति हुये कामनायें जा ही नहीं सकतीं।

अतः दोनों साधनायें एक साथ करनी होंगी। यथा-

अभ्‍यासेन तु कौन्‍तेय वैराग्‍येण च गृह्यते।

(गीता 6-35)

अर्थात् संसारी कामनाओं के स्‍थान पर ईश्वरीय कामनायें बनाने का अभ्‍यास करना है। यही एकमात्र उपाय है। प्रथम संसार से मन को हटाओ (क्‍योंकि वहाँ आत्‍मा का सुख नहीं है) फिर श्रीकृष्‍ण में लगाओ (क्‍योंकि वहाँ सुख ही है) इस प्रकार बार-बार हटाने एवं लगाने से कुछ काल पश्चात् मन लगने लगेगा। जितना लगने लगेगा, उतना हटने लगेगा।

संसारी कामनायें आत्‍म-सुख के लिये ही तो हैं जब यह ज्ञान परिपक्व हो जायगा तो लक्ष्‍य प्राप्‍त हो जायगा।

उत्तर प्रदेश

जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियों का एक्सीडेंट, बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत

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नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह करीब 5 बजे भीषण हादसा हो गया। इस हादसे में जगतगुरु कृपालु जी महाराज की बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत हो गई। इसके अलावा उनकी दो बेटियां गंभीर रूप से घायल हैं। घायल दोनों बेटियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद जगतगुरु कृपालु परिषत की ओर से शोक संदेश भी जारी किया गया है। संदेश जारी करने के बाद भक्तों द्वारा इस घटना को लेकर दुख व्यक्त किया जा रहा है।

दिल्ली जाते समय हुआ हादसा बताया जा रहा है कि मथुरा से जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियां डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. कृष्णा त्रिपाठी और डॉ. श्यामा त्रिपाठी कार से दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए निकलीं थीं। उनके साथ आश्रम से जुड़े अन्य लोग भी मौजूद थे। दिल्ली एयरपोर्ट से उनको फ्लाइट पड़कर सिंगापुर जाना था। कार यमुना एक्सप्रेसवे पर दनकौर कोतवाली क्षेत्र में पहुंची थी। इसी दौरान तेज रफ्तार की एक डीसीएम ने आगे चल रही दोनों कारों में टक्कर मार दिया। टक्कर लगने के बाद कार क्षतिग्रस्त हो गईं।

हादसे में बड़ी बेटी का निधन

हादसे में कृपालु जी की बड़ी बेटी 65 साल की डॉ. विशाखा त्रिपाठी का निधन हुआ है. हादसा दो छोटी बेटियों, डॉ. श्यामा त्रिपाठी व डॉ. कृष्णा त्रिपाठी की हालत गंभीर बताई जाती जा रही है. सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. सिंगापुर जाने के लिए तीनों बहनें फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट के लिए जा रही थीं.

 

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