मुख्य समाचार
अपने ही घर में गालिब हुए पराए
आगरा| उर्दू शायरी को बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए दुनियाभर में मशहूर मिर्जा गालिब ने 200 साल पहले आज ही के दिन आगरा में जन्म लिया था। गालिब के जन्मदिन पर उनकी जन्मस्थली के लोग शनिवार को उनकी जयंती मनाना भूल गए। यहां उनका कोई स्मारक भी तो नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि गालिब के नाम पर एक सड़क या सभागार का नाम रखने की मांग कई बार की गई, मगर नगर निगम से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि आगरा विश्वविद्यालय से मांग की गई थी कि उर्दू साहित्य में शोधकार्यो के लिए गालिब चेयर (शोध केंद्र) स्थापित किया जाए, लेकिन यह मांग भी ठुकरा दी गई।
हां, यहां एक मिर्जा गालिब अकादमी जरूर है, मगर इसकी भी हालत बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। अकादमी के निदेशक सैयद जाफरी सरकार से बेहतर सुविधाएं और मदद चाहते हैं। जाफरी ने शनिवार को कहा, “आगरा ने उर्दू संस्कृति को बहुत कुछ दिया है, यहां पर गालिब का एक अच्छा स्मारक होना चाहिए। नगर निगम के पास महान कवि के नाम पर एक सड़क के नामकरण का प्रस्ताव लंबित है, मगर इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।” आगरा के कला महल इलाके की जिस हवेली में मिर्जा असद उल्लाह खान उर्फ गालिब का 1976 में जन्म हुआ था, वहां पर अब एक बालिका इंटर कॉलेज है। इस हवेली में उर्दू के महान शायर का कोई स्मारक नहीं है।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने एक बार इस हवेली को अधिगृहित कर इसे स्मारक में बदलने की योजना भी बनाई थी, लेकिन किसी कारण से यह योजना स्थगित कर दी गई। गालिब बाद में दिल्ली चले गए थे, जहां पर उनकी प्रतिभा में निखार आया। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के समय में गालिब को एक नई पहचान मिली थी। आगरा शहर के होटल और रेस्तरां एसोसिएशन के सदस्य संदीप अरोड़ा ने कहा कि जब विदेशी पर्यटक यहां आकर गालिब की जन्मस्थली पर ले जाने के लिए कहते हैं तो हमें भारी शर्मिदगी उठानी पड़ती है। यहां उनके नाम का कुछ तो है ही नहीं, पर्यटकों को दिखाएं क्या! उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार व राज्य सरकार को संयुक्त रूप से आगरा में गालिब का स्मारक और उनके नाम पर पुस्तकालय बनवाना चाहिए।” ब्रज मंडल धरोहर संरक्षण समिति के सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि गालिब के घर को राष्ट्रीय स्मारक में बदलना चाहिए। उनका कहना बिल्कुल सही है, मगर देश में इस वक्त जैसा माहौल बन रहा है, इसमें यह सोचा भी जा सकता है क्या?
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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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