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रियो ओलम्पिक (जिम्नास्टिक) : दीपा ने रचा इतिहास, वॉल्ट के फाइनल में

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जिम्नास्टिक

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जिम्नास्टिकरियो डी जेनेरियो| 52 वर्षो के बाद ओलम्पिक खेलों की जिम्नास्टिक स्पर्धा में पहली भारतीय महिला एथलीट के तौर पर प्रवेश कर पहले ही इतिहास रच चुकीं दीपा कर्माकर ने रविवार को रियो ओलम्पिक के वॉल्ट के फाइनल में प्रवेश कर एक और इतिहास रच दिया। दीपा जिम्नास्टिक की सभी पांच क्वालिफिकेशन सबडिवीजन स्पर्धा के समापन के बाद वॉल्ट में आठवें स्थान पर रहीं, जो फाइनल में क्वालिफाई करने के लिए आखिरी स्थान था।

और पढ़ें: जिमनास्टिक : ओलम्पिक सीट पाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं दीपा

दीपा ने रविवार को हुए तीसरी सबडिवीजन क्वालिफाइंग स्पर्धा के वॉल्ट में 14.850 अंक हासिल किया। तीसरे सबडिवीजन की समाप्ति पर दीपा छठे स्थान पर थीं, लेकिन अमेरिका की सिमोन बाइल्स और कनाडा की शैलन ओल्सेन आखिरी के दो सबडिवीजन से फाइनल में प्रवेश करने में सफल रहीं।

सिमोन बाइल्स ने वॉल्ट में 16.050 अंक हासिल कर शीर्ष स्थान के साथ फाइनल में प्रवेश किया, जबकि दीपा सबसे निचले आठवें पायदान के साथ फाइनल में पहुंची हैं। इससे स्पष्ट है कि दीपा को फाइनल में पदक हासिल करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा।

कलात्मक जिम्नास्टिक स्पर्धा के क्वालिफिकेशन सबडिवीजन-3 में दीपा का ओवरऑल प्रदर्शन तो औसत रहा, लेकिन वॉल्ट में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई है।

दीपा ने वॉल्ट में बेहद कठिन माने जाने वाले प्रोदुनोवा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और रियो-2016 में ऐसा करने वाली वह एकमात्र जिम्नास्ट रहीं। हालांकि अमेरिका की सीमोन बाइल्स ने प्रोदुनोवा जैसा कठिन मार्ग न चुनने के बावजूद प्रदर्शित कर दिया है कि अन्य वॉल्ट कलाओं के जरिए भी अधिक अंक हासिल किए जा सकते हैं।

दीपा का ऑल अराउंड प्रदर्शन औसत रहा और उन्होंने 51.665 का स्कोर करते हुए 61 प्रतिभागियों में 51वां स्थान हासिल किया, जबकि ऑल अराउंड के फाइनल में 29वें स्थान तक की कुल 24 खिलाड़ियों ने फाइनल में प्रवेश किया है।

दीपा अब 14 फरवरी को वॉल्ट स्पर्धा के फाइनल मुकाबले में पदक की दावेदारी पेश करेंगी।

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नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

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