खेल-कूद
भारतीय फुटबाल के लिए नई उम्मीद बन उभरा आईएसएल
कोलकाता| भारत में फुटबाल को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के मकसद से शुरू हुआ इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) का पहला संस्करण बहुत हद तक सफल रहा। इसका एक सबूत वे भारतीय फुटबाल प्रशंसक हैं जो इस टूर्नामेंट के बाद यूरोपीय स्टार खिलाड़ियों के अलावा कुछ भारतीय खिलाड़ियों के नाम से भी परिचित नजर आने लगे हैं।
आईएसएल की सफल शुरुआत के बाद हालांकि कई प्रश्न भी सामने खड़े हो चुके हैं। इसमें सबसे बड़ा सवाल इस टूर्नामेंट के जारी रहने को लेकर है। साथ ही यह प्रश्न भी महत्वपूर्ण है कि विदेशी खिलाड़ियों के सामने भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन टूर्नामेंट में कैसा रहा।
ऐसी खबरें भी आईं कि स्पेन केअग्रणी क्लब और मौजूदा ला लीगा चैम्पियन एटलेटिको मेड्रिड ने एटलेटिका डी कोलकाता के डिफेंडर अर्नब मंडल पर विशेष नजर रखी है। वैसे, यह अलग बात है कि कोई भी भारतीय खिलाड़ी टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में शीर्ष पांच की सूची में शामिल नहीं रहा लेकिन फाइनल में कोलकाता के लिए इंजुरी टाइम में निर्णायक गोल कर भारतीय खिलाड़ी मोहम्मद रफीक हीरो जरूर बन गए। भारत के पूर्व खिलाड़ी शिशिर घोष के मुताबिक भारतीय डिफेंडरों ने टूर्नामेंट में सराहनीय प्रदर्शन किया।
घोष ने कहा, “सभी भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा किया। नारायण दास, हरमनजोत खाबड़ा और अनर्ब मंडल तथा देबनाथ किंग्शुक जैसे डिफेंडरों ने सराहनीय खेल दिखाया।” यह भी गौर करने वाली बात है कि टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ियों में सम्मिलित रूप से ब्राजील और भारत के खिलाड़ी रहे। दोनों देशों के खिलाड़ियों ने 26-26 गोल किए। ब्राजील के इलानो ब्लूमर ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा आठ गोल दागे और गोल्डन बूट का पुरस्कार अपने नाम किया।
सर्वाधिक गोल करने के मामले में भारत की ओर से जेजे लालपेखुला सबसे आगे रहे और उन्होंने 13 मैचों में चेन्नइयन एफसी के लिए कुल चार गोल किए। वह सबसे ज्यादा गेल करने वाले खिलाड़ियों की सूची में नौवां स्थान पाने में सफल रहे। इसके अलावा एफसी गोवा के रोमियो फर्नाडीज ने भी 11 मैचों में तीन गोल किए। कोलकाता के बलजीत साहनी ने भी दो गोल दागे।
गोल करने में मदद करने के मामले में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी छाप छोड़ी। सूची में तीसरे स्थान पर मौजूद दिल्ली डायनामोज के फ्रांसिस फर्नाडीज ने 11 मैचों में तीन बार गोल में सहयोग किया। बलवंत सिंह और खाबड़ा ने भी चेन्नई के लिए क्रमश: पांच और छह बार गोल में सहायता की।
खेल के अन्य क्षेत्रों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतर प्रदर्शन किया। भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी विश्वजीत भट्टाचार्य ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा, “भारत के खिलाड़ियों ने विश्व फुटबाल को स्पष्ट संदेश दिया है। साथ ही यह भी जता दिया है कि वह भी अच्छा फुटबाल खेलते हैं।” भट्टाचार्य के अनुसार भारतीय खिलाड़ियों और विदेशी खिलाड़ियों में एकमात्र अंतर तकनीक और निपुणता का है। विदेशी खिलाड़ी बड़ी-बड़ी टीम और यूरोपीय क्लबों के लिए खेल चुके हैं और इसी कारण वे अभी बेहतर हैं।
खेल-कूद
IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात
पर्थ। भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए नया कीर्तिमान रच दिया है। टीम इंडिया ने पर्थ में 16 साल बाद पहला टेस्ट मैच जीता है। इससे पहले भारत ने साल 2008 में कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि यह मैच पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया। पहली पारी में 150 रन बनाने वाली टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में सिर्फ 104 रनों पर ढेर कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने अपनी दूसरी पारी 487/6 रन के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 534 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।
इस पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 238 रनों के स्कोर पर ढेर हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 295 रनों से हराकर बड़ा इतिहास रच दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया में न तो रोहित शर्मा थे, न ही शुभमन गिल, न ही रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन और न ही मोहम्मद शमी थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 161 रन और विराट कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में केेल राहुल ने भी 77 रनों की अहम पारी खेली। पहली पारी में टीम इंडिया 150 रनों पर सिमट गई थी पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का कमबैक करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को घुटनों पर ला दिया। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 104 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में टीम इंडिया ने कमाल का कमबैक करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 487 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। जिससे ऑस्ट्रेलिया को 534 रनो का टारगेट मिला। लेकिन चौथे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हरा दिया।
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