लाइफ स्टाइल
पायल ने वस्त्रों में नए प्रयोग के लिए डिजाइनरों को सराहा
मुंबई| डिजाइनर पायल खंडेलवाल का कहना है कि आजकल भारतीय डिजाइनर देश के वस्त्रों की बुनाई और उनमें नए प्रयोग के जरिए इसे नया अवतार प्रदान कर रहे हैं। पायल हस्तनिर्मित, खादी, सिल्क, सूती और लिनेन के वस्त्रों पर काम करना पसंद करने के लिए जानी जाती है। उन्हें लगता है कि भारतीय डिजाइनर भारतीय बुनाई को एक नया आयाम और अवतार दे रहे हैं। भारतीय वस्त्रों से जुड़ी धारणा में बदलाव को लेकर अभी यह और आगे जाएगा। यह उन्हें प्रासंगिक रखने के साथ ही नए दर्शकों तक पहुंचने में मदद भी करेगा।
लक्मे फैशन वीक विंटर उत्सव 2016 के दौरान पायल ने बताया, “इससे उन भारतीय बुनकरों को मदद मिलेगी जो बहुत बुरी अवस्था में रह रहे हैं और जिन्हें बहुत कम वेतन मिलता है।” पायल ने लक्मे सैलन के सहयोग से ब्राइडल लाइन को पेश किया।
पायल को यह भी लगता है कि सरकार के प्रयास से बनारस के बुनकरों को नई आशा मिल सकती है। भारतीय वस्त्रों पर पश्चिमी डिजाइन कम ही बन पाने से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इसमें सच्चाई है। उनका कहना है कि अगर करीने से लगे सही वस्त्र और वस्त्र के वजन का सही चुनाव किया जाए तो हर प्रकार के डिजाइन बनाए जा सकते हैं।
मुंबई में पलने-बढ़ने और फिर न्यूयॉर्क तथा बार्सिलोना में पढ़ाई करने से उन्हें नया दृष्टिकोण मिला है। उनकी ललित कला और फैशन की पृष्ठभूमि पर इन देशों की संस्कृति का प्रभाव पड़ा है। इस फैशन वीक में उन्होंने सोने के धागों से बुनी वस्त्रों का प्रयोग किया है। उन्होंने इसके लिए बनारस के बुनकरों की मदद ली। सिल्क के वस्त्रों के लिए उन्होंने बंगाल के बुनकरों का भी सहयोग लिया।
पायल ने अपना संग्रह इस फैशनवीक के चौथे दिन पेश किया। उन्होंने जिस रूप में मॉडलों को अपनी खूबसूरत डिजाइनर कपड़ों के साथ पेश किया, इसके लिए उन्हें खूब सराहना मिली।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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