हेल्थ
इस आदमी का ब्लड ग्रुप किसी से नहीं मिलता, WHO भी है हैरान
सूरत। क्या आप सोच सकते हैं कि किसी के ब्लड का कोई ग्रुप ही न हो। क्या कोई शख्स ऐसा भी हो सकता है जिसके ब्लड में वर्तमान में पाए जाने वाला कोई भी ग्रुप मैच न करता हो। देखने में यह बता जरूर अजीब लगेगी लेकिन देश में एक नया ब्लड ग्रुप मिला है। गुजरात के सूरत शहर की एक प्रयोगशाला में एक शख्स के ब्लड ग्रुप की जांच की जा रही थी। जब इस ब्लड की जाच की रिपोर्ट डॉक्टर को मिली वो हैरान रह गये। उन्हें एक ऐसा ब्लड ग्रुप मिला जो अब तक खोजे गए सभी ब्लड ग्रुप से बिल्कुल अलग था।
गुजरात के सूरत में एक नौजवान के ब्लड ग्रुप ने सबको चौंका दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि दुनिया में किसी भी इंसान का ब्लड ग्रुप उसके ब्लड ग्रुप से मैच नहीं कर रहा है। वह न तो किसी को ब्लड डोनेट कर सकता है और न ही किसी से ले सकता है। आमतौर पर इस दुनिया में लोगों का ब्लड ग्रुप या तो A होता है, B होता है, O होता है या फिर AB होता है।
दुनिया में एक ऐसा इंसान भी है जो बिना ब्लड ग्रुप वाला है, जिसका कोई ब्लड ग्रुप नहीं है। मेडिकल साइंस के इतिहास का ये अनोखा मामला गुजरात के सूरत में सामने आया है। जहां एक नौजवान का ब्लड ग्रुप देखकर डॉक्टर हैरान हैं। क्योंकि इस अनोखे नौजवान की रगों में दौड़ने वाला खून चारों श्रेणियों से नहीं मिलता। जिसकी वजह से ये नौजवान न तो किसी को खून दे सकता है और न ही किसी से खून ले सकता है।
कैसे हुआ खुलासा
पिछले महीने सूरत के वराछा इलाके में एक परिवार अपने मरीज का ब्लड सैंपल लेकर ब्लड बैंक में पहुंचा। लैब में मौजूद डॉक्टरों ने जब ब्लड ग्रुप की जांच करनी शुरू की तो उनके माथे पर पसीना आ गया। क्योंकि ब्लड सैम्पल का ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो पा रहा था। लिहाजा लैब के प्रमुख डॉक्टर सन्मुख जोशी को बुलाया गया और फिर जांच शुरू की गई।
अपनी जांच के बाद डॉक्टरों ने ये ब्लड सैंपल WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को भेजा। जहां WHO की संस्था इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लेबोरेटरी ने भी इस खून की जांच की लेकिन यहां भी उसका कोई ब्लड ग्रुप नहीं मिला। फिर लेबोरेटरी ने इस नए ब्लड ग्रुप को सर्टिफाई किया। ब्लड ग्रुप का नाम INRA रखा गया। जिसमें पहले दो शब्द इंडिया और बाद के दो शब्द ब्लड देने वाले नौजवान को लेकर बनाया गया।
दुनिया में सात ऐसे रेयर ब्लड ग्रुप हैं, जो किसी से मैच नहीं करते। मेडिकल साइंस की भाषा में इसे ‘COLTOL’ कहते हैं। इनमें से एक भारत में है। इसके अलावा बॉम्बे ब्लड ग्रुप भी है। जो सात हजार लोगों में से किसी एक का होता है। जानकारों का कहना है कि ऐसे ब्लड ग्रुप रेयर होते हैं। जाहिर है ऐसे लोगों को खून की जरूरत पड़ने पर काफी मुश्किल होती है।
दुनिया भर के डॉक्टरों के सामने अब बड़ा सवाल ये है कि ये ब्लड ग्रुप अलग क्यों है… वो कैसे बना…इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए बिना ब्लड ग्रुप वाले इस नौजवान के परिवार के खून की भी जांच की जा रही है। ताकि शायद इस रहस्य से पर्दा उठ सके।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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