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अन्तर्राष्ट्रीय

2 साल से कम उम्र के 6 में से 5 बच्चों को नहीं मिलता पर्याप्त पोषण : यूनिसेफ

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यूनिसेफसंयुक्त राष्ट्र,  दुनियाभर में दो साल से कम उम्र के छह में से केवल एक बच्चे को पर्याप्त पोषण मिलता है, जबकि पांच बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के अनुसार, जीवन के शुरुआती दो साल बच्चों के शारीरिक एवं विकास विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जिसके लिए उन्हें पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। इसके बावजूद अधिकांश बच्चों को इस उम्र में पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि पिछले 10 वर्षो में गंभीर कुपोषण में कमी आई है, लेकिन पांच साल से कम उम्र के 15.6 करोड़ बच्चे अब भी कुपोषित हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर या गरीब सभी देशों में स्तनपान बच्चों के लिए पोषण का सबसे बढ़िया माध्यम है, फिर भी कुछ ही बच्चों को इसका लाभ मिल पाता है।

स्तनपान पर केंद्रित हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को छह महीने की आयु से ठोस, अर्ध ठोस और नरम आहार दिया जाना चाहिए, लेकिन कई बच्चों को बहुत जल्दी या देर से इन आहारों को दिया गया जिससे उनके विकास और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

रिपोर्ट में दो साल तक या उससे ज्यादा उम्र तक बच्चों को पूरक आहार के तौर पर स्तनपान कराने पर भी जोर दिया गया।

यूनिसेफ की वरिष्ठ पोषण सलाहकार फ्रांस बिगिन ने कहा, “शिशुओं और छोटे बच्चों को जीवन में और किसी भी अन्य समय की अपेक्षा ज्यादा पोषण की जरूरत होती है, लेकिन लाखों बच्चों के शरीर और दिमाग बहुत कम आहार या बहुत देर से आहार मिलने के कारण अपनी क्षमता तक नहीं पहुंच पाते।”

बहुत कम बच्चों को पैदा होने के एक घंटे के भीतर जीवन के लिए महत्वपूर्ण स्तनपान कराया जाता है और छह से लेकर 23 महीने तक के सिर्फ आधे बच्चों को ही उम्र के अनुसार न्यूनतम पोषक आहार मिल पाता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि अमीर या गरीब देशों में लंबे समय तक स्तनपान करने वाले बच्चे बुद्धिमान होते हैं और शैक्षणिक स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

स्तनपान मोटापा और पुरानी बीमारियों को खत्म करने में सहायक होता है। स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भाशय व स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर स्तनपान से हर साल 8,00,000 से अधिक बचचों को बचाया जा सकता है। 

अन्तर्राष्ट्रीय

लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद

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नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।

मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।

 

 

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