लाइफ स्टाइल
दिवाली पर इन बातों का रखें ख्याल, स्किन व आंखें रहेगी सेफ
नई दिल्ली। दिवाली रोशनी का त्योहार है। पूरा देश आतिशबाजी और रोशनी की दमक से सराबोर हो जाता है। बच्चे तो बच्चे बड़े भी इसकी मस्ती में खो जाते हैं। लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इस दिन होने वाली आतिशबाजी न केवल प्रदूषण बढ़ाती है, बल्कि आतिशबाजी के दौरान होने वाली थोड़ी-सी भी लापरवाही हमारे लिए बहुत घातक हो सकती है। दिवाली के दौरान आतिशबाजी से जलने की घटनाओं से हम अच्छी तरह परिचित हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि इस तरह की घटनाओं से कैसे बचा जाए और अगर ऐसी कोई घटना हो तो किन बातों का ख्याल रखें।
पटाखे हमेशा प्रतिष्ठित दुकान से खरीदें और इस बात की कोशिश करें कि बच्चों को अकेले पटाखें खरीदने न जाने दें, और आप उनकी सुरक्षा का ध्यान रख कर उन्हें पटाखे दिलवाएं। अक्सर बच्चे शैतानी करने के लिए पटाखे किसी बंद डिब्बे या मटके में डाल कर जलाते हैं, ऐसे में कई बार मटके या डब्बे के टूटने से बच्चों के घायल होने की संभावना भी होती है। इससे बेहतर होगा की आप उनको अकेले पटाखे न जलाने दें।
ऊनी सिल्क व कृतिम कपड़ों में आग बहुत जल्दी पकड़ लेती है, इससे बचने के लिए बेहतर होगा की पटाखे जलाते समय सूती कपड़े ही पहने। जिस भी जगह आप पटाखे जला रहे हैं, वहां पानी से भरी बाल्टी जरूर रखें, ताकि गलती से कोई दुर्घटना हो जाए तो तुरंत पानी का प्रयोग किया जाए।
अपने पास हमेशा फस्र्ट ऐड किट तैयार रखें, साथ ही आपके पास बर्फ भी प्रयाप्त मात्रा में होनी चाहिए। दिवाली में जलने पर सर्वाधिक प्रभावित हमारी त्वचा और आंखें ही होती है। ऐसे में जलने पर हमें किन बातों का ख्याल और क्या सावधानी रखनी चाहिए? वरिष्ठ त्वचा विशेषज्ञ डॉ. किरण धर के अनुसार, जले हुए हिस्से को फौरन पानी से धोएं और बर्फ लगाएं। और अगर अगर जलन मामूली है तो जले हुए हिस्से पर नारियल जैतून या फिर नीम का तेल भी लगा सकते हैं। इसके अलावा, जले हुए हिस्से पर शहद या फिर एलोवेरा जेल भी लगा सकते हैं।
डॉ. धर ने कहा, अगर कोई गंभीर रूप से जल गया है तो उसे फौरन कंबल में लपेटें और अस्पताल ले जाएं। जले हुए व्यक्ति के कपड़े उतारने का प्रयास न करें, इससे जली हुई त्वचा पर बुरा प्रभाव पडऩे की संभावना होती है। जली त्वचा पर केले का पत्ता बांधना कारगर होता है, क्योंकि इससे ठंडक मिलती है और आराम भी। डॉ. किरण ने कहा, पटाखों में कई तरह के रसायन प्रयोग किए जाते हैं, जिसकी वजह से अगर हम न भी जलें तो भी उसका धुंआ हमारी त्वचा को बहुत नुकसान पहुंचता है और हमारी त्वचा रूखी हो जाती है। इससे बचने के लिए दिन में कम से कम आठ-10 ग्लास पानी पीएं, इसके अलावा अच्छे मॉइश्चराइजर का प्रयोग करें तथा चेहरे और शरीर के अन्य अंग जो खुले हों, उनको किसी अच्छे रसायन मुक्त क्लिंजर से साफ करें।
आई टेक विजन सेंटर की नेत्र चिकित्सक डॉ. श्रीदेवी गुंडाद्ध ने आंखों की सावधानी के बारे में कहा, अगर पटाखे से आंखों में चिंगारी गई है तो फौरन आंखों को पानी धोएं और जल्द से जल्द अस्पताल जाएं। अगर कॉनटैंक्ट लेंस लगाते हैं तो दिवाली वाले दिन बिल्कुल न लगाएं और आंखों को पटाखों की तेज रोशनी से भी बचाएं। आंखों में चिंगारी या बारूद चला जाए तो उसे बिल्कुल न मलें, फौरन धो लें और चिकित्सक से संपर्क करें। पटाखे छूने के बाद अपनी आंखें न छुएं।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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