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खेल-कूद

एफआईएच में हॉकी क्रांति के नेतृत्व में सफलता की उम्मीद : बत्रा

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एफआईएच में हॉकी क्रांति के नेतृत्व में सफलता की उम्मीद : बत्रा

नई दिल्ली | अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के अध्यक्ष पद के चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल के बाद स्वदेश लौटे हॉकी इंडिया (एचआई) के अध्यक्ष नरिंदर ध्रुव बत्रा ने कहा कि उनके लिए इस पद पर नियुक्त होना गर्व की बात है और उन्होंने उम्मीद जताई है कि वह एफआईएच में विश्वस्तरीय हॉकी क्रान्ति का नेतृत्व करने में सफल रहेंगे। एफआईएच के 15वें और पहले भारतीय अध्यक्ष बत्रा ने अपने बयान में ने कहा, “इस पद के लिए चुना जाना मेरे लिए बेहद गर्व का विषय है और मैं उम्मीद करता हूँ कि मैं एफआईएच में विश्वस्तरीय हॉकी क्रान्ति का नेतृत्व करने में कामयाब रहूंगा।”

एफआईएच के कार्यकारी बोर्ड सदस्य एवं एशियाई हॉकी फेडरेशन के उपाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके बत्रा एफआईएच अध्यक्ष पद पर लिएन्डरो नेगरे का स्थान लेंगे। वह चार साल तक इस पद पर बने रहेंगे।

एफआईएच अध्यक्ष पद के चुनाव की जीत इस कारण भी ऐतिहासिक है, क्योंकि बत्रा ने ऑस्ट्रेलिया के केन रीड, आयरलैण्ड के डेविड बलबिरनी तथा एचआईएच अध्यक्ष के दो अन्य उम्मीदवारों के साथ कड़ी टक्कर करते हुए 118 में से 68 वोट हासिल करने में सफल रहे।

पहली बार किसी भारतीय को ओलम्पिक खेल के प्रशासनिक निकाय के प्रमुख के रूप में चुना गया है। बत्रा एफआईएच प्रमुख के रूप में इस भूमिका को निभाने वाले पहले भारतीय होंगे।

अपने नेतृत्व में भारतीय हॉकी को नए आयाम देने वाले बत्रा ने खिलाड़ी प्रबंधन कुशल पारदर्शी प्रणाली के निर्माण और खिलाड़ियों के फायदे को हमेशा प्राथमिकता दी है।

बत्रा ने कहा, ” एफआईएच प्रमुख के रूप में मेरी नई भूमिका में दुनिया भर में हॉकी खेलने वाले देशों एवं महिलाओं की संख्या बढ़ाना पहली प्राथमिकता होगी। ओलम्पिक में 12-14 टीमों के बीच मुकाबला होना चाहिए। इससे दुनिया भर के लोगों में हॉकी के प्रति उत्साह पैदा किया जा सकता है। ”

खिलाड़ियों के विकास को प्राथमिकता देते हुए बत्रा ने कहा, “अगर हम हॉकी के क्षेत्र में नई क्रान्ति लाना चाहते हैं, तो हमें हमारे खिलाड़ियों के बारे में सोचना होगा, उन्हें सर्वश्रेष्ठ संरक्षण देना होगा। वे हमारे भविष्य के संरक्षक हैं।”

खेल-कूद

IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात

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पर्थ। भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए नया कीर्तिमान रच दिया है। टीम इंडिया ने पर्थ में 16 साल बाद पहला टेस्ट मैच जीता है। इससे पहले भारत ने साल 2008 में कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि यह मैच पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया। पहली पारी में 150 रन बनाने वाली टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में सिर्फ 104 रनों पर ढेर कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने अपनी दूसरी पारी 487/6 रन के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 534 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।

इस पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 238 रनों के स्कोर पर ढेर हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 295 रनों से हराकर बड़ा इतिहास रच दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया में न तो रोहित शर्मा थे, न ही शुभमन गिल, न ही रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन और न ही मोहम्मद शमी थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 161 रन और विराट कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में केेल राहुल ने भी 77 रनों की अहम पारी खेली। पहली पारी में टीम इंडिया 150 रनों पर सिमट गई थी पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का कमबैक करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को घुटनों पर ला दिया। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 104 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में टीम इंडिया ने कमाल का कमबैक करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 487 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। जिससे ऑस्ट्रेलिया को 534 रनो का टारगेट मिला। लेकिन चौथे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हरा दिया।

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