लाइफ स्टाइल
व्यस्त दिनचर्या के बीच अरोमाथेरेपी से पाएं सुकून
नई दिल्ली | दिन भर काम में व्यस्त रहने के बात शारीरिक और मानसिक थकान महसूस होने लगती है। अरोमाथेरेपी से आप अपने मन को सुकून का अहसास करा सकते हैं। इंग्लिश रोज जहां रोमांस व रूमानियत को बढ़ाता है वहीं प्रोवेंस लैवेंडर मन और शरीर को आराम पहुंचाता है।
सुगंधित मोमबत्तियों को बेचने वाले ब्रांड क्रिजॉट के संस्थापक मेहुल महाजन ने अरोमाथेरेपी से जुड़े कुछ सुगंधों के बारे में बताया है, जो आपके मूड के अनुसार, आपको सुकून देंगे :
* प्रोवेंस लैवेंडर के इत्र, खुशबू का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। यह न सिर्फ अनिद्रा, बैचेनी, चिड़चिड़ापन को दूर करता है बल्कि इसकी खुशबू आपके मन की भावनाओं को संतुलित कर आपको सुकून का भी अहसास कराते हैं। थकान भरे दिन के लिए इसकी खुशबू आपके लिए उपयुक्त है।
* अंग्रेजी गुलाब (इंग्लिश रोज) की अनोखी खुशबू सभी पसंद करते हैं। नींबू के सत्व, गुलाब की पंखुड़ियों से बने सुगंधित फूलों वाला इत्र रोमांस को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। गुलाब की खुशबू आत्मविश्वास भी बढ़ाती है। महिलाएं इसे खासतौर से पसंद करती हैं। वनीला, मस्क (कस्तूरी), सीविट के सत्व से बने इत्र कामेच्छा को बढ़ाते हैं।
* सैंडलवुड (चंदन की लकड़ी) से बना इत्र आपके तनाव को दूर करता है। यह आपके दिमाग को सुकून पहुंचा कर मन की भावनाओं को संतुलित करता है।
* लेमनग्रास की खुशबू आपकी चिंताओं को दूर करती है। यह आपको ऊर्जावान और स्फूर्तिवान बनाता है। लेमनग्रास कई दवाओं में महत्वपूर्ण औषधि के रूप में भी इस्तेमाल होती है।
* वनीला की मीठी (शुगर) भीनी सुगंध आपकी प्रसन्नता के स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। यह आपको खुशमिजाज बनाती है।
* इन सबके अलावा सिट्रस (खट्टे फलों का सत्व) इत्र, देवदार, चमेली, लैवेंडर, कॉफी के इत्र या खुशबू आपको खुशमिजाज बनाए रखेंगे। पुदीना का इत्र एकाग्रता को बढ़ाता है। सेब की विशेष खुशबू सिरदर्द को दूर कर सकती है।
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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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