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संगम तट पर होगी एंटी टेररिस्ट स्क्वायड की नज़र

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लखनऊ/ इलाहाबाद| तीर्थराज प्रयाग में संगम तट पर सोमवार को पौष पूर्णिमा के अवसर पर स्नान के साथ माघ मेले का आगाज हो गया। साथ ही पूरे एक मास का कल्पवास भी शुरू हो गया। बीती आतंकी घटनाओं को देखते हुए पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और समूचे ‘संगम नोज’ को एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) के हवाले कर दिया गया है। मेला प्रशासन के अनुसार, शाम चार बजे तक संगम समेत अन्य घाटों पर लगभग 15 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में पुण्य की डुबकी लगा ली थी। कहीं से भी किसी अप्रिय घटना का सूचना नहीं है। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर जहां लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाई, वहीं नदी का जलस्तर कम होने के कारण साधु-संतों में रोष दिखा। बहुत सारे संतों ने स्नान का बहिष्कार किया।

गंगा के प्रदूषित और अपर्याप्त जल को लेकर अखिल भारतीय दंडी स्वामी संन्यासी प्रबंधन समिति के महंतों ने विरोध प्रदर्शन किया और पूर्णिमा स्नान का बहिष्कार किया। संतों ने आरोप लगाया कि शासन ने उनके साथ धोखा किया है। नरौरा से छोड़ा गया ढाई हजार क्यूसेक पानी संगम तट पर पहुंचा ही नहीं। महंतों ने मेले में तमाम अव्यवस्थाओं के चलते जिलाधिकारी को हटाने की मांग भी की है। महंतों का कहना है कि जिलाधिकारी अपनी कमी को छिपाने के लिए अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारियों को हटाने का षड्यंत्र कर रहे हैं। गौरतलब है कि जिलाधिकारी ने मेला शुरू होने के एक दिन पहले मेलाधिकारी को हटा दिया था।

पिछले कई दिनों से मौसम खराब होने के कारण लोगों को आशंका थी कि इस बार मेले का आगाज फीका रहेगा, लेकिन सोमवार को सुबह से ही मौसम साफ रहने के कारण श्रद्धालुओं का रेला संगम की ओर लगातार बढ़ता रहा। स्नान करने वालों को संगम की रेत पर नर्म धूप सेंकने का मौका भी मिला। मेला प्रशासन ने देर शाम तक लगभग 25 लाख श्रद्धालुओं के संगम व अन्य घाटों पर स्नान कर लेने का अनुमान लगाया है। वैसे तो मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं का आगमन दो दिन पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन पौष पूर्णिमा पर्व पर स्नान का विशेष महत्व होने के कारण भोर से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हा। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण इलाहाबाद शहर में कई जगह जाम की स्थिति है। इसे नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह यातायात पुलिस ने व्यापक इंतजाम किए हैं।

इस वर्ष संगम की रेत पर लगभग 1550 बीघे में माघ मेले का फैलाव है। पूरे मेला क्षेत्र को चार सेक्टरों में बांटा गया है। मेला क्षेत्र में 2067 सामाजिक, धार्मिक, स्वयंसेवी व प्रयागवाल सहित दंडी स्वामी, आचार्य, खाक चौक के साधु-संतों को भूमि, टेंट, फर्नीचर, पेयजल, प्रकाश एवं स्वच्छता की सुविधाएं नि:शुल्क दी गई हैं। मुख्य स्नान पर्वो के दिन आने वाले स्नानार्थियों को शीत से बचाव के लिए परेड क्षेत्र में 425 टेंट के अस्थायी रैन-बसेरों की स्थापना की गई है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं व कल्पवासियों को चिकत्सीय सुविधा प्रदान करने के लिए 20-20 शैय्याओं वाले दो चिकित्सालय, 12 प्राथमिक चिकित्सालय, तीन आयुर्वेद और चार होम्योपैथिक अस्पताल खोले गए हैं। स्नानघाटों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए जीरो डिस्चार्ज टॉयलेट की स्थापना की गई है। साधु-संतों व कल्पवासियों को आवश्यक दैनिक सामग्री की नियमित सस्ते दर पर आपूर्ति के लिए खाद्य व आपूर्ति विभाग द्वारा संपूर्ण मेला क्षेत्र में सस्ते गल्ले की दुकानों के अलावा सब्जी, जलाऊ लकड़ी व दूध आदि के स्टोर खेले गए हैं।

जिलाधिकारी भावनाथ सिंह के अनुसार, मेला क्षेत्र में 26 सस्ते गल्ले की दुकानें, तीन वन निगम के डिपो, 30 पराग के दुग्ध केंद्र, तीन रसोई गैस की एजेंसी, 15 थोक सब्जी एवं 30 फुटकर सब्जी की दुकानें खोली गई हैं। मेला क्षेत्र में भूले बिसरे लोगों को मिलाने के लिए भूले-भटके शिविर की स्थापना भी कर दी गई है। माघ मेले में स्नानार्थियों की सहूलियत के लिए प्रशासन ने 12 स्नान घाट बनाने का निर्णय लिया था। हालांकि प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर नौ घाट ही तैयार किए जा सके। जो घाट बनवाए गए हैं, उनमें संगम स्नान घाट, अरैल स्नान घाट, रामघाट, दंडीबाड़ा घाट, आचार्य बाड़ा घाट, दशाश्वमेघ घाट, काली सड़क से महावीर मार्ग तक का घाट, महावीर मार्ग से अक्षयवट तक का घाट और खाक चौक घाट शामिल हैं, जबकि गंगोली शिवाला, जीटी रोड और मोरी रोड घाट का निर्माण आज नहीं कराया जा सका था। नौ घाटों पर रविवार को ही साफ-सफाई कराकर कांसा-पुआल बिछा दिया गया था।

पूरे मेला क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगभग 3000 पुलिसकर्मी लगाए गए हैं। कुल 12 थाने और 33 पुलिस चौकियां स्थापित हैं, जिन्हें पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से एक दिन पहले ही सक्रिय कर दिया गया। प्रमुख स्नान घाट संगम नोज को एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) के हवाले कर दिया गया है। एक एसपी और एक एएसपी के नेतृत्व में आरएएफ की दो और पीएसी की नौ कंपनियां मेले की सुरक्षा कमान संभाल रही हैं। आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर माघ मेला क्षेत्र को त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में रखा गया है। माघ मेला के दौरान यह व्यवस्था पहली बार लागू की गई है। आमतौर पर यह सुरक्षा इंतजाम कुंभ और अर्धकुंभ के दौरान ही किया जाता है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार के अनुसार, त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत पहले चरण में जिले में प्रवेश करने वालों की सीमा पर चेकिंग की जाएगी। दूसरी चेकिंग शहर की सीमा में और तीसरी मेला क्षेत्र की सीमा पर होगी। माघ मेला पुलिस के नोडल अधिकारी पुलिस अधीक्षक नीरज पांडेय के मुताबिक, मेला क्षेत्र में बनाए गए प्रमुख स्नान घाटों पर पीएसी की तीन कंपनियां, 42 बोट और लगभग 400 गोताखोर तैनात रहेंगे। संगम नोज, संगम प्रसार, खाक चौक, प्राचीन गंगा, यमुना पट्टी और अकबर के किला के नजदीक विशेष तौर पर एटीएस की नजर रहेगी। माघ मास के पहले स्नानपर्व पौष पूर्णिमा पर पुण्य की डुबकी लगाने को संत महात्मा रविवार को शिविर में प्रवेश कर गए। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद सरस्वती, सतुआबाबा संतोषदास आदि मेला क्षेत्र पहुंच गए हैं। इस दौरान आईजी दलजीत चौधरी ने कहा कि माघ मेले में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। किसी तरह का कोई आतंकी खतरे का डर नहीं है। यदि ऐसा कुछ होगा, तो हालात से निपटने की पूरी तैयारी है।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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