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प्रादेशिक

सक्षम व्यक्ति यश भारती और पद्म पुरस्कारों के लिए मासिक पेंशन ले रहे

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सक्षम व्यक्ति यश भारती और पद्म पुरस्कारों के लिए मासिक पेंशन ले रहे

एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने आज कहा कि जिस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती पुरस्कार दिए और जिस प्रकार सक्षम व्यक्ति यश भारती और पद्म पुरस्कारों के लिए 50,000 मासिक पेंशन ले रहे हैं, वह वास्तव में अजीबोगरीब है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के वेबसाइट के अनुसार 22 फ़रवरी 2016 के अब तक 174 लोगों को यह पेंशन प्रदान किया गया है। इनमे बॉलीवुड के राज बब्बर, अभिजित भट्टाचार्य, समीर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, कैलास खेर, मुज़फ्फर अली, सुधीर मिश्र, राजू श्रीवास्तव, अनुराग कश्यप और विशाल भरद्वाज, क्रिकेटर मोहम्मद कैफ और सुरेश रैना, प्रतिष्ठित कलाकार राजन और साजन बंधू, अनूप जलोटा, नादिरा बब्बर, सुभा मुद्गल, गिरिजा देवी और बिरजू महराज, कवि और लेखक  अशोक चक्रधर, सुनील जोगी, विक्रम सेठ, गोपाल चतुर्वेदी, कुलदीप नैयर व गोपाल दास नीरज, यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर एस एस कटियार, जे एस राजपूत, इरफ़ान हबीब, राज बिसारिया, डॉ सरोज गोपाल और रवि कान्त, आईएएस की पत्नी सुरभि रंजन और मालिनी अवस्थी, आईपीएस अफसर अपर्णा कुमार तथा अन्य संपन्न लोग जैसे रुना बैनर्जी, अरुणिमा सिन्हा तथा डॉ जगदीश गाँधी शामिल हैं ।

नूतन ने कहा कि जहाँ वास्तव में पेंशन के हक़दार लोगों को वृद्धावस्था और विधवा पेंशन में रु० 300 तथा समाजवादी पेंशन में रु० 500 प्रतिमाह दिया जाता है, वहीँ इन साधन संपन्न लोगों को 50,000 मासिक पेंशन दिया जा रहा है, जो गरीबी का सीधा उपहास है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में शीघ्र जनहित याचिका दायर की जा रही हैं।

डॉ नूतन ठाकुर

उत्तर प्रदेश

यूपी में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए योगी सरकार की पहल, एफडीआई पॉलिसी में किया संशोधन

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लखनऊ। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सोमवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में एफडीआई एवं फॉर्च्यून 500 कंपनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति 2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस संशोधन के माध्यम से योगी सरकार ने विदेशी निवेशकों को बड़ी राहत दी है। इसके माध्यम से अब ऐसी विदेशी कंपनियां भी प्रदेश में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ-साथ लोन या किसी अन्य स्रोत से पैसों की व्यवस्था करती हैं। योगी सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में विदेशी निवेश के बढ़ने की संभावना है।

फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट को किया गया शामिल

योगी कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि 1/11/2023 को फॉरेन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) की नीति आई थी, इसमें थोड़ा संशोधन किया गया है। नीति में अर्हता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपए रखी गई है। आरबीआई द्वारा जो एफडीआई की परिभाषा दी गई है, उसके अनुसार अभी तक मात्र इक्विटी में किए गए निवेश को ही एफडीआई में सम्मिलित किया जाता है। नीति में जो संसोधन किया गया है उसमें हमने इसे फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक एफडीआई के तहत कंपनी के पास अपनी इक्विटी होती थी लेकिन ज्यादातर कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बाहर से लोन के साथ ही दूसरे माध्यमों से भी पैसा मैनेज करती हैं। हमने उसको भी अलाऊ कर दिया है। यदि किसी कंपनी के पास इक्विटी केवल 10 प्रतिशत है और 90 प्रतिशत निवेश राशि की व्यवस्था दूसरे स्रोतों से कर रखी होगी तो हम उसको भी बेनिफिट प्रदान करेंगे।

100 करोड़ के निवेश को माना जाएगा पात्र

उन्होंने बताया कि अब इस नीति को फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एंड फॉर्च्यून इंडिया 500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2023 कहा जाएगा। फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट के रूप में इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कंपनी के लिए प्रिफरेंश शेयर, डिवेंचर्स, एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, स्टैंड बाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारंटी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी को भी शामिल कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अन्य मोड जो आरबीआई के द्वारा फ्रेमवर्क ऑन एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, ट्रेड क्रेडिट, स्ट्रक्चर्ड ऑब्लीगेशंस के अंतर्गत किए गए 100 करोड़ के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर्ह होंगे। विदेशी निवेशक कंपनी द्वारा की गई फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट राशि (जिसमें इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत तथा शेष ऋण व अन्य इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से मिलाकर 100 करोड़ रुपए का निवेश) को इस नीति के अंतर्गत पात्र माना जाएगा तथा पूंजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा।

बिना नॉमिनी भी हो सकेगा ग्रेच्युटी का भुगतान

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट्स रूल्स 1961 में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए अथवा सेवानिर्वत्ति के उपरांत ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नॉमिनी बनाया है तो ग्रेच्युटी का भुगतान उस व्यक्ति को किया जा सकता है जिसके पक्ष में किसी न्यायालय द्वारा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रदान किया गया हो। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पहले कि व्यवस्था में ऐसे व्यक्ति की ग्रेच्युटी की धनराशि सरकार को चली जाती थी।

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