लाइफ स्टाइल
सर्दियों में एड़ी को फटने से ऐसे बचाएं
नई दिल्ली | सर्दियों के दौरान हम अपने चेहरे, हाथों और गर्दन को रूखेपन से बचाने के लिए लोशन लगाते हैं, लेकिन एड़ी पर लोशन लगाना भूल जाते हैं, जिससे एड़ियां फट जाती हैं, इसलिए अपने पैरों व एड़ी पर तेल से मसाज करें और ग्लिसरीन और गुलाब जल लगाएं। सौंदर्य उत्पाद की कंपनी ‘टीबीसी बाई नेचर’ की प्रबंध निदेशक मोनिका सूद ने सर्दियों के दौरान एड़ियों को मुलायम बनाए रखने के संबंध में ये सुझाव दिए हैं :
* तेल सबसे बढ़िया प्राकृतिक मॉइश्चराइजर होता है। यह न सिर्फ आपके पैरों को, बल्कि शरीर के हर हिस्से की त्वचा को मुलायम रखता है। आप किसी भी हाइड्रोजनेटेड तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं।
* एक बड़े चम्मच ग्लिसरीन में दो बड़े चम्मच गुलाब जल और आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर इसे एड़ियों पर लगाएं और साफ मोजे पहनें। आप इसे रात में लगाएं, इससे आपकी एड़ियां फटेंगी नहीं और कोमल व मुलायम बनी रहेंगी।
* ओटमील (जौ का आटा) और जोजोबा तेल से बना मास्क भी पैरों के लिए फायदेमंद है। एक बड़े चम्मच ओटमील को पीस लें, फिर इसमें जोजोबा का तेल मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें और इसे फटी एड़ियों पर लगाकर आधा घंटा छोड़ दें। आधे घंटे बाद इसे ठंडे पानी से धो लें।
* चावल का आटा पैरों के लिए बढ़िया स्क्रब है। एक बड़े चम्मच चावल के आटे में दो बड़ा चम्मच शहद और एक बड़ा चम्मच नींबू का रस मिलाकर इसे 10 मिनट पैरों पर मलें। अगर आपकी एड़ियों में बहुत ज्यादा दरारे हैं तो स्क्रब करने से पहले पैरों को 15 मिनट गुनगुने पानी से भरी बाल्टी में रखें।
* नीम की पत्तियां एंटी फंगल और जीवाणु रोधी होती हैं, इसकी पत्तियों को पीसकर हल्दी के साथ मिलाकर लगाने पर ज्यादा फटी एड़ियां और जिनसे खून भी निकलता है वे भी जल्दी ठीक हो जाती हैं।
* सर्दियों के दौरान एड़ियों को खास देखभाल की जरूरत होती है, इसलिए रोज पैर साफ करके लोशन लगाना चाहिए, अगर आपकी एड़ियां पहले से फटी हैं तो रोज उस पर दूध और शहद लगाकर मलें और जब तक एड़ियां पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती उन पर मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं।
* केला, अनानास, एवेकैडो, पपीता जैसे फलों को मसल कर इनसे पैरों का मसाज किया जा सकता है। केला और पपीता बढ़िया विकल्प हैं, क्योंकि इन्हें असानी से मसला जा सकता है। आप इन सारे फलों का मिश्रण लगा सकती हैं या चाहे तो अलग-अलग भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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