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हेल्थ

आई क्लीनिक पर हिंदी में ऑनलाइन पाएं स्वास्थ्य सलाह

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आई क्लीनिक पर हिंदी में ऑनलाइन पाएं स्वास्थ्य सलाहनई दिल्ली | ऑनलाइन स्वास्थ्य सलाह मुहैया कराने वाली कंपनी आई क्लीनिक ने हिंदीभाषी मरीजों के लिए अपनी वेबसाइट के हिंदी संस्करण के लांच की घोषणा की। नई भाषा का यह फीचर उन मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा, जो दिल्ली एवं उत्तर भारत में, विशेष रूप से दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं।

आई क्लीनिक के संस्थापक एवं सीईओ ध्रुव सुयमप्रकाशम ने कहा, “हम दुनियाभर के मरीजों को पहले से 54 भाषाओं में फोन कन्सल्टेशन की सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। फोन कन्सल्टेशन के अलावा अब हम अपने उपयोगकर्ताओं को वेबसाइट पर भी हिंदी में कन्सल्टेशन सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे, जो विशेष रूप से दिल्ली के निवासियों एवं उत्तर भारत के ग्रामीणों के लिए बेहद फायदेमंद होगा। हिंदी के सफलतापूर्वक लांच के बाद हम अन्य क्षेत्रीय भाषओं में भी विस्तार की योजना बना रहे हैं।”

आई क्लीनिक के आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्तमान में इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद 135 डॉक्टर और 14.3 फीसदी पंजीकृत मरीज दिल्ली से हैं। दिल्ली के उपयोगर्ता चर्म रोग, स्त्री रोग एवं सेक्सोलॉजी के लिए डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए आई क्लीनिक का इस्तेमाल करते हैं।

वर्ष 2012 में ध्रुव सुयमप्रकाशम व डॉ. मदान द्वारा स्थापित आई क्लीनिक की शुरुआत मरीजों एवं डॉक्टरों के बीच अंतराल को दूर करने के लिए की गई, ताकि उनके बीच भोगौलिक बाधाओं को दूर किया जा सके। आई क्लीनिक के आज 196 देशों में 155000 मरीज हैं और प्लेटफॉर्म पर मौजूद 90 स्पेशलटीज के 2000 से अधिक डॉक्टर इन मरीजों का उपचार करते हैं।

यह सबसे तेजी से विकसित होते हुए एंटरप्राइज मैसेंजर ऐप टेलीग्राम और स्लैक पर मौजूद पहली स्वास्थ्य सेवा प्रदाता कंपनी है। आई क्लीनिक को हेल्थलाइन और इन्वेस्टोपीडिया के द्वारा दुनिया में 5वें स्थान का दर्जा दिया गया है। यह इस सूची पर मौजूद एशिया की एकमात्र कंपनी है।

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लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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