लाइफ स्टाइल
एप की मदद से घर में कीजिए डांस की प्रैक्टिस
हैदराबाद | प्रख्यात नर्तकी, विदुषी व लेखिका आनंदा शंकर जयंत ने भरतनाट्यम का अभ्यास करने वालों को अपने डांस क्लासेस के अलावा भी अपने घर पर अपना डांस प्रैक्टिस जारी रखने में मदद करने के लिए वेब आधारित एप जारी किया है। अपनी तरह के पहले डांस प्रैक्टिस एप ‘नाट्यरंभा’ की लॉचिंग के मौके पर प्रख्यात नृत्यांगना ने कहा कि वेब आधारित इस एप्लिकेशन का उद्देश्य डांस क्लास में प्रशिक्षण और घर में प्रैक्टिस के बीच की खाई को पाटना है।
उन्होंने कहा, “आज की व्यस्त जीवन शैली में, शिक्षक के द्वारा भरतनाट्यम में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह में कुछ ही घंटे का समय देना संभव है, जिस कारण छात्रों को घर में प्रैक्टिस करना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन कई छात्रों को घर में प्रैक्टिस करने में कठिनाई होती है, क्योंकि घर में उनका मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं होता। यह एप्लिकेशन आपको कभी भी कहीं भी प्रैक्टिस करने के लिए सक्षम बनाता है।”
अपनी तरह के इस पहले एप्लिकेशन को हैदराबाद स्थित गैर-लाभकारी संस्था शान-कर्णदा कलाक्षेत्र ने अपनी डिजिटल पहल के तहत विकसित किया हैए जहां आनंदा कलात्मक निदेशक हैं। यह भरतनाट्यम के कलाकारों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षण देने और पेश करने के अलावा सामूहिक प्रभाव भी पैदा करता है।
नर्तकी, कोरियोग्राफर और गुरु के रूप में चार दशक से अधिक समय तक अनुभव हासिल करने के बाद, आनंदा ने अपने छात्र और सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल स्नेहा मगपू के सहयोग से कुछ साल पहले ‘नाट्यरंभा’ ऐप बनाया था और एक पारंपरिक नृत्य शैली में प्रौद्योगिकी वेव को शामिल कर दिया।
यह मोबाइल फोन सहित किसी भी डिवाइस पर चल सकता है और दुनियाभर में छात्रों और नृत्य कलाकारों को घर में प्रैक्टिस के लिए उच्च गुणवत्ता वाले विस्तृत मार्गदर्शन और प्रैक्टिस मॉड्यूल के लिए डिजिटल तक पहुंच प्रदान करता है।
इसमें निमोनिक्स विज्ञान, संगीत और विजुअल्स से संबंधित अध्याय हैं जो भरतनाट्यम वर्ग के फार्मेट को दोहराते हैं।
प्रख्यात नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह ने इस ऐप की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह एप भाषा, लिंग और राष्ट्रीयता से परे सभी उम्र के लोगों के लिए सही समय में वरदान के रूप में आया है और शिक्षक, मित्र, नर्तकांे और रसिकाओं के लिए प्रेरक बनने का वादा करता है।”
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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