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लाइफ स्टाइल

त्वचा को खास देखभाल से यूं बनाएं खूबसूरत

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त्वचा को खास देखभाल से यूं बनाएं खूबसूरत

नई दिल्ली | नए मौसम के दस्तक देने के साथ ही आपको अपनी त्वचा की खास देखभाल करनी चाहिए। त्वचा में निखार लाने के लिए क्रीम और सीरम लगाने के अलावा कुछ ऐसे इंग्रेडीएंट्स (अवयव) भी हैं जो आपकी त्वचा को चमकदार और खूबसूरत बना सकते हैं। काया लिमिटेड की उपाध्यक्ष एवं प्रमुख (मेडिकल सर्विसेज एंड आर एंड डी) संगीता वेलासकर ने सुंदरता को लेकर विशेष रूप से सजग रहने वाली महिलाओं के लिए ये लाभदायक जानकारियां दी हैं :

– कोलेजन हमारी कोशिकाओं से निकलने वाले प्रोटीन हैं जो त्वचा को एक साथ जकड़ कर रखने में मददगार होता है। कोलेजन त्वचा में कसाव लाकर जवां लुक देता है। जब हम युवा होते हैं तो हमारी त्वचा मोटी और कोमल होती है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ कोलेजन बनना कम हो जाता है, जिसके चलते झुर्रियां पड़ने लगती है और जो कोलेजन मौजूद होते हैं वह भी सूर्य की हानिकारक किरणों के कारण नष्ट हो जाते हैं, इसलिए कोलेजन युक्त उत्पादों का इस्तेमाल करें। इससे आपकी त्वचा में कसाव और चमक आएगी और झुर्रियां और महीन रेखाएं खत्म हो जाएंगी।

– एसेटिल हेक्सेपेप्टाइड-8 एक प्रकार से न्यूरोपेप्टाइड होता है, जिसका इस्तेमाल मांसपेशियों को आराम देने के लिए किया जाता है। यह झुर्रियां और महीन रेखाएं भी दूर करता है, इसलिए एसेटिल हेक्सेपेप्टाइड-8 युक्त सौंदर्य उत्पाद का इस्तेमाल करें।

– शरीर में कोलेजन बनना कम होने से झुर्रियां पड़ने लगती है, जबकि अत्यधिक कोलेजन से त्वचा ढीली होने लगती है। ऐसे में हायलारोनिक युक्त उत्पाद का प्रयोग त्वचा में एसिड कोलोजन के स्तर को उचित मात्रा में बनाए रखता है और त्वचा में नमी बरकरार रखता है। इससे आपकी त्वचा जवां नजर आती है।

– ग्लाइकोलिक एसिड गन्ने के रस से निकलता है। यह अल्फा हायड्रॉक्सी समूह के सबसे छोटे अणुओं में से एक है। यह त्वचा में गहराई से समाकर प्रभावकारी असर दिखाता है, ग्लाइकोलिक एसिड युक्त उत्पाद के इस्तेमाल से काले धब्बे, मुंहासे, डलनेस, ऑयलीनेस दूर होता है और आपकी त्वचा पहले से ज्यादा जवां और निखरी नजर आती है।

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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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