Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

लाइफ स्टाइल

चेहरे को बनाएं बढ़ती उम्र से बेअसर

Published

on

Loading

 चेहरे को बनाएं बढ़ती उम्र से बेअसरनई दिल्ली | बढ़ती उम्र में चेहरे पर झुर्रिया पड़ने लगती हैं, ऐसे में कई महिलाएं जवां दिखने की चाहत में कई मिथकों को मानने लगती हैं, जैसे ग्रीन जूस से चेहरे पर चमक आती हैं और जवां लुक मिलता है, लेकिन जवां दिखने के लिए सिर्फ ये उपाय ही काफी नहीं हैं। कुछ और भी तरकीब अपनाने की जरूरत है। ओरिफ्लेम इंडिया की सौंदर्य एवं मेकअप विशेषज्ञ आकृति कोचर ने बढ़ती उम्र को रोकने यानी एंटी-एजिंग से जुड़े मिथकों के बारे में ये जानकारियां दी हैं :

* एंटी-एजिंग से जुड़ा एक मिथक यह है कि रोजाना ग्रीन जूस के सेवन से खून साफ होता है और चेहरे पर चमक आती है। यह बात सच है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सिर्फ एक उपाय से आपके चेहरे पर चमक आ जाए और आप जवां दिखने लगे, इसलिए अपनी दिनचर्या में क्लीजिंग, टोनिंग और मॉइश्चिराइजिंग को जरूर शामिल करें। बाहर जाने पर सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। व्यायाम और संतुलित आहार का सेवन करें। बढ़ती उम्र के असर को रोकने के लिए आपको अपनी जीवनशैली से जुड़ी हर पहलू पर ध्यान देना होगा।

* जवां दिखने के लिए पानी खूब पनी चाहिए, क्योंकि इससे त्वचा में नमी बरकरार रहती है और शरीर में से हानिकारक विषाक्त पदार्थ भी निकल जाते हैं, लेकिन सिर्फ इतना नाकाफी है और आपको जवां दिखने के लिए अपनी दिनचर्या, स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा।

* यह मिथक खूब प्रचलित है कि मॉइश्चराइजर के इस्तेमाल से सारी झुर्रियां दूर हो जाती हैं। यह आपकी त्वचा को नमी प्रदान करता है, और पोषित त्वचा लंबे अर्से तक जवां नजर आती है, लेकिन झुर्रियां दूर करने के लिए सही डे और नाइट क्रीम, सीरम व तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना चाहिए।

* युवावस्था में ही एंटी-एजिंग क्रीम का इस्तेमाल करने की सलाह भी दी जाती है, लेकिन यह भी महज एक मिथक ही है। त्वचा का रंग काला पड़ जाना और रूखापन आदि झुर्रियां पड़ने का पहला संकेत होते हैं। वैसे, सामान्यतया 30 की उम्र के बाद ही झुर्रिया पड़ती हैं , लेकिन सही देखभाल और सही जीवनशैली का अभाव और तनावपूर्ण जीवन से यह कम उम्र में नजर आ सकती हैं, इसलिए स्वास्थ्य पर खास ध्यान दें।

* कुछ लोग एंटी-एजिंग को जीन से जोड़ते हैं, लेकिन सच तो यह है कि अगर आपके दादा-दादी, माता-पिता स्वस्थ जीवनशैली को अपनाते हैं और आप नहीं अपनातीं तो आपका जवां लुक समय से पहले गायब हो सकता है। जलवायु, प्रदूषण, तनाव, त्वचा की देखभाल और जीवनशैली आदि आपकी त्वता पर असर डालती हैं।

* यह जरूरी नहीं कि महंगे उत्पाद के इस्तेमाल से आपको जवां लुक मिल जाएं इसलिए, सोच-समझकर ही किसी भी सौंदर्य उत्पाद का प्रयोग करें।

* मुस्कुराना या फ्राउनिंग (त्योरी चढ़ाना) चेहरे के लिए एक प्रकार का महज व्यायाम हो सकते हैं, इनसे झुर्रियां नहीं पड़तीं। धूम्रपान करने से, त्वचा में नमी की कमी, तनाव आदि कारणों से झुर्रियां पड़ती हैं।

* आपकी पूरी दिनचर्या, जीवनशैली का आपके शरीर और त्वचा पर काफी असर पड़ता है, इसलिए प्रसन्नचित रहें और संतुलित व स्वस्थ आहार ग्रहण करें।

* सनस्क्रीन युक्त सौंदर्य उत्पाद का मेकअप में प्रयोग करना बेहतर विकल्प है, लेकिन याद रखें कि यह सनस्क्रीन लोशन के जितना प्रभावी नहीं हो सकता, इसलिए घर से बाहर निकलने से पहले कम से कम आधे घंटे पहले जरूर सनस्क्रीन लगाएं, ताकि यह त्वचा में अच्छी तरह से अवशोषित हो जाएं।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

Published

on

By

high cholesterol symptoms

Loading

नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Continue Reading

Trending