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हेल्थ

ज्यादातर मर्द हमउम्र साथी के साथ ही सेक्स पसंद करते हैं!

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sex-relationलंदन। ज्यादातर लोग अपने हमउम्र साथी के साथ ही सेक्स करना पसंद करते हैं और इसमें पुरुष भी शामिल हैं। एक शोध से यह जानकारी मिली है जो इस आम धारणा को चुनौती देता है कि मर्द अपनी उम्र बढऩे के बावजूद कम उम्र महिलाओं में ही रुचि रखते हैं।

शोध में कहा गया है कि मर्द अपनी उम्र की उम्रदराज महिलाओं में भी रुचि रखते हैं। यह शोध इवोल्यूशनरी साइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि जब बात यौन साथी की आती है तो इसमें पुरुष और महिलाओं के बीच उनकी उम्र प्राथमिकताओं का अंतर उससे कहीं ज्यादा कम है जितना माना जाता रहा है।

पहले के शोधों में जहां यह निष्कर्ष निकाला गया था कि उम्रदराज मर्द भी कम उम्र महिलाओं को पसंद करते हैं वहीं, फिनलैंड की तुरुकु स्थित अबो अकादमी विश्वविद्यालय के जेन एंटफोन के द्वारा किए गए नए शोध से पता चला है कि इसमें कुछ हद तक ही सच्चाई है।

यह शोध फिनलैंड में 878 पुरुषों और 1,789 महिलाओं पर किया गया। शोध के निष्कर्षों में बताया गया है, “जांच में पाया गया कि महिलाओं की पसंद थोड़ी अलग है और उनका झुकाव थोड़ी बड़ी उम्र की तरफ था। जबकि पुरुषों की पसंद की उम्र अवधि ज्यादा चौड़ी थी। हालांकि उम्र बढऩे के बाद भी पुरुष कम उम्र की महिलाओं के साथ सेक्स को इच्छुक रहे, हालांकि वे अपनी हमउम्र महिलाओं के साथ ही अपनी उम्र से अधिक उम्र की महिलाओं के साथ भी सेक्स करने के प्रति हामी भरी।

इस शोध के निष्कर्षो में पहले की आम धारणाओं से विपरीत नतीजे सामने आए हैं। पुरुषों की यौन गतिविधियां इस प्रकार भी उनकी उम्र सीमा के बीच ही होती है कि वे आकर्षित तो कम उम्र की महिलाओं के प्रति होते हैं, लेकिन उनके बीच यौन गतिविधियां कम ही संभव हो पाती है।

शोध में बताया गया है कि ज्यादातर सेक्स गतिविधियां हमउम्र भागीदारों के बीच ही होती है। इसके अलावा इस शोध से पता चला है कि समलैंगिंक और द्विलैंगिक पुरुषों और महिलाओं की यौन साथी के उम्र को लेकर पसंद उनके विपरीतलिंगी समकक्षों से थोड़ी अलग होती है।

इस शोध में एकमात्र अपवाद यह देखा गया कि समलैंगिंक मर्द कम उम्र के यौन साथी में, द्विलैंगिक या विपरीतलिंगी मर्दो की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा रुचि लेते हैं।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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