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लाइफ स्टाइल

बदलते मौसम में ऐसे रखें स्किन का ध्यान

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नई दिल्ली। क्या आपकी स्किन पर धूप का गहरा असर पड़ता है या फिर ठंडी हवा से आपकी स्किन रुखी हो जाती है? जब आपकी स्किन बदलती हुई जलवायु के अनुरूप अपने को ढाल रही होती है, तब मौसमी बदलाव के अनुकूल होना इसके लिए मुश्किल हो जाता है।

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. दिलीप हेमनानी बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के दौरान यह आवश्यक है कि आपकी त्वचा को एक अच्छे क्लीनसर तथा मॉइस्चराइजर से सुरक्षित किया जाए। शरीर के अन्य हिस्सों के मुकाबले चेहरे की त्वचा के ऊतक ज्यादा नाजुक होते हैं, इसीलिए इन्हें अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। सही उत्पाद चुनने और उत्पाद के अवयवों को ध्यान में रखने से स्वच्छ एवं लचीली त्वचा प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि त्वचा को मॉइस्चराइज रखना सर्दियों में बहुत जरूरी होता है, क्योंकि सर्दियों में त्वचा की नमी खोकर यह रूखी बन जाती है। इसलिए त्वचा पर मिनरल ऑइल युक्त मॉइस्चराइज लगाएं और इसे मुलायम एवं हाइड्रेटेड बनाएं।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ डरमेटोलॉजी के पूर्णकालिक सदस्य हेमनानी ने कहा कि मैजिकल मिनरल ऑयल में ऐसे गुण हैं, जो इसे स्किन-फ्रेंडली बनाते हैं और खोए हुए गुण पुन: प्राप्त करने में मदद करते हैं। ऑयल नॉन-रिएक्टिव होते हैं और किसी भी अन्य उत्पाद के साथ आसानी से मिश्रित हो जाते हैं, इसलिए इन्हें कॉस्मेटिक तथा ब्यूटी उत्पादों में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। त्वचा को मॉइस्चराइज करना तथा इसे त्वचा की विभिन्न बीमारियों से बचाना बहुत आवश्यक है।

त्वचा की सुरक्षा के लिए टिप्स :

साबुन : साबुन खरीदने के दौरान आपको 5 से 5.5 की पीएच वैल्यू के बीच के मुलायम साबुन ही खरीदने चाहिए। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि साबुन में पर्याप्त मात्रा में मिनरल ऑयल या ग्लिसरीन हों। यदि आपको ऐसे साबुन नहीं मिलते हैं, तो आप शॉवर के बाद मिनरल ऑयल पर आधारित बॉडी लोशन भी लगा सकते हैं।

नहाना : नहाने के बाद एक बात यह भी ध्यान रखें कि आप शरीर को पूरी तरह से न सुखाएं, बल्कि इसे हल्का पोंछ लें। नमी बनाए रखने के लिए एक अच्छी मॉइस्चराइज क्रीम का इस्तेमाल करें।

त्वचा का हाइड्रेशन : हम अक्सर इस बात को भूल जाते हैं कि शरीर पर त्वचा की मोटाई, अलग अलग जगहों पर अलग होती है, इसलिए इनके उपाय भी अलग-अलग होने चाहिए। हाथ और पैर कम तेल उत्पन्न करते हैं, इसलिए इन्हें बार बार मॉइस्चराइज की जरूरत पड़ती है। आपको रात में भी मॉइस्चराइज लगाना चाहिए। आप अपने शरीर को पोंछ लें और त्वचा को मुलायम, लचीला तथा युवा बनाए रखने के लिए मिनरल ऑइल आधारित बॉडी लोशन लगाएं।

पैर : सर्दियों में पैर रूखे और सूखे हो जाते हैं, इसलिए उन्हें एक्सफोलिएट करना एवं मॉइस्चराइज करना बहुत जरूरी होता है। एक हिस्सा मिनरल ऑइल के साथ दो हिस्सा ग्लिसरीन लें और इसे पूरी रात लगाकर रखें। इससे त्वचा हाइड्रेट होगी और नर्म एवं मुलायम बनेगी।

मॉइस्चराइज : मिनरल ऑइल आपकी रूखी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ये 12 से 13 साल से कम उम्र के बच्चों तथा 55 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गो की त्वचा के लिए बहुत ही अच्छे मॉइस्चराइज होते हैं। इस उम्र में शरीर हॉर्मोन पैदा नहीं करता है और जिससे त्वचा रूखी हो जाती है। इसलिए शरीर को नियमित तौर पर मॉइस्चराइज करना बहुत जरूरी होती है।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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