लाइफ स्टाइल
इन चीजों का करें इस्तेमाल, और पाएं खूबसूरत स्किन
नई दिल्ली| गर्मियों में सनस्क्रीन सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचने के लिए लगाना जरूरी होता है, लेकिन हमेशा त्वचा के अनुकूल सनस्क्रीन ही लगाएं। ‘ड्रीमवर्ल्ड स्किन एंड हेयर क्लीनिक’के त्वचा विशेषज्ञ ने सनस्क्रीन खरीदने से पहले ध्यान रखने योग्य ये बातें बताई है:
1– अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो जेल या स्प्रे में उपलब्ध सनस्क्रीन खरीदकर लगाएं, इससे आपकी त्वचा ज्यादा तैलीय नहीं दिखेगी और अगर आपकी त्वचा रूखी है तो लोशन या क्रीम के रूप में उपलब्ध सनस्क्रीन लगाएं, इससे आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा मिलेगी।
2– ऐसा सनस्क्रीन लगाएं जो आपको नैचुरल लुक दे और साथ ही आपके चेहरे को चिपचिपा और पसीने से तर दिखने से रोके।
3– यूवीए और यूवीबी से सुरक्षा प्रदान करनेोवले सनस्करीन का इस्तेमाल करें क्योंकि यूवीए किरणों के कारण झुर्रियां पड़ जाती है और चेहरा का रंग काला पड़ने लगता है वहीं यूवीबी किरणों से टैनिंग होने के साथ ही त्वचा संबंधी कैंसर होने की संभावना भी रहती है, इसलिए दोनों हानिकारक किरणों से सुरक्षा प्रदान करने वाले सनस्क्रीन को खरीद कर लगाएं।
4–यूवीबी से सुरक्षा के लिए ‘एसपीएफ’ युक्त और यूवीए से सुरक्षा के लिए ‘पीए’ युक्त सनस्क्रीन खरीदें। तेज धूप में निकलने से पहले एसपीएफ-30 और पीए++ या इससे ज्यादा एसपीएफ और पीए वाला सनस्क्रीन लगाएं।
5– सनब्लॉक क्रीम को अच्छी-खासी मात्रा में लेकर लगाएं क्योंकि एक या दो बूंद लगाने से यह प्रभावकारी असर नहीं दिखा सकेगा, इसे धूप में निकलने से कम से कम आधे घंटे पहले लगाएं।
6– सनस्क्रीन में ऑक्सीबेनजोन जैसे हानिकारक केमिकल नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे आपके हार्मोस पर असर पड़ सकता है और त्वचा में जलन, खुजली आदि की समस्या हो सकती है।
7– सनसक्रीन खरीदते समय कब तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है यह जरूर जांच कर लें, इसके इस्तेमाल की तारीख जरूर देख लें क्योंकि एक्सपायर सनस्क्रीन से आपकी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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