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अजमेर शरीफ विस्फोट मामले में फैसला 22 मार्च को

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अजमेर शरीफ, जयपुर, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, राष्ट्रीय जांच एजेंसी

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जयपुर | जयपुर की एक स्थानीय अदालत अजमेर शरीफ दरगाह विस्फोट मामले में 22 मार्च को फैसला सुनाएगी। अदालत इसी मामले में इससे पहले तीन आरोपियों को दोषी करार दे चुकी है और शनिवार को सजा सुनाने वाली थी।

अजमेर शरीफ, जयपुर, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, राष्ट्रीय जांच एजेंसी

लेकिन अदालत ने शनिवार को नौ वर्षो से चल रहे मामले में तीसरी बार फैसला टाल दिया। अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह परिसर में 11 अक्टूबर, 2007 को हुए बम विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई और कम से कम 15 अन्य लोग घायल हुए थे।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत मामले पर 16 मार्च को फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन इसे शनिवार तक के लिए टाल दिया गया था। अब इसे दोबार टालते हुए अदालत ने फैसले की तारीख 22 मार्च कर दी है।

इससे पहले अदालत ने आठ मार्च को मामले में आरोपी भवेश पटेल, देवेंद्र गुप्ता और सुनील जोशी (मृत) को दोषी करार दिया था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता स्वामी असीमानंद सहित सात लोगों को बरी कर दिया था।

भवेश के वकील लोकेश शर्मा ने आईएएनएस को बताया, “शनिवार को जिरह पूरी हो गई।” मामले के कुल 13 आरोपियों में से तीन अभी भी फरार चल रहे हैं।

 

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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