लाइफ स्टाइल
गर्मियों में ऐसे करें बालों की देखभाल..
गर्मियों के मौसम में बालों की देखभाल
नई दिल्ली| गर्मियों का मौसम बाहर घूमने-फिरने जाने के लिए मुफीद समय माना जाता है। समुद्र तट पर अठखेलियां करने का यह बेहतर समय होता है, लेकिन तेज धूप से न सिर्फ त्वचा को बचाने की जरूरत है, बल्कि आपके बालों को भी बचाने की जरूरत है।
गर्मी के दुष्प्रभावों से बालों को बचाने के लिए बालों में तेल लगाएं और उसे धोएं कम और जूड़ा बनाए रखें। टीजी की हेयर एजुकेटर और काया लिमिटेड की उपाध्यक्ष व प्रमुख संगीता वेलासकर ने गर्मियों में बालों को खूबसूरत बनाए रखने के संबंध में ये सुझाव दिए हैं :
* गर्मियों मे तेज धूप निकलने के दौरान बालों को किसी खास स्टाइल में मोड़ने वाले हीट प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि इससे आपके बालों को नुकसान पहुंच सकता है।
* रात में अपने रूखे, उलझे बालों पर पर लीव-इन कंडीशनर लगाकर तौलिया लपेटकर छोड़ दें। सुबह आपको मुलायम और सुलझे बाल मिलेंगे।
* नारियल, जैतून और एवोकैडो तेल आसानी से बालों में समा जाते हैं। बालों को शैम्पू करके बालों की जड़ों से लेकर सिरों तक अच्छे से तेल लगाकर मसाज करें और फिर बाल धोकर कंडीशन करें। इससे आपके बाल मुलायम होंगे और बालों को नमी भी मिलेगी।
* गर्मियों के दौरान बालों को गर्मी के साथ ही तेज धूप और पसीने का सामना करना पड़ता है, इसलिए बालों में नमी बरकरार रखना बेहद जरूरी है, ऐसे में हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बालों को सुरक्षित रखने के लिए ‘हीट प्रोटेक्टर हेयर स्प्रे’ का इस्तेमाल लाभदायी होगा। यह बालों की नुकसान पहुंचने से भी बचाता है।
* बाल ज्यादा धोने से स्कैल्प में मौजूद प्राकृतिक तेल निकल सकते हैं, जिससे बाल रुखे हो सकते हैं और आपको बार-बार बाल धोने की जरूरत महसूस हो सकती है। किसी बीच पर या पूल में जाने के बाद शॉवर चलाकर सामान्य रूप से बाल को धोएं। रेगुलर शैम्पू के बजाय नेचुरल ड्राई शैम्पू का इस्तेमाल करें।
* हेयर ब्रश के बजाय चौड़े दांतों वाली कंघी का इस्तेमाल करें, गीले बालों में कंघी नहीं करें या इसे जोर से खींचे नहीं, क्योंकि इससे बाल टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
-
लाइफ स्टाइल13 hours ago
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
-
ऑफ़बीट3 days ago
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
-
नेशनल3 days ago
आज शाम दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय जाएंगे पीएम मोदी, कार्यकर्ताओं को करेंगे संबोधित
-
नेशनल3 days ago
संजय राउत को महाराष्ट्र के नतीजे मंजूर नहीं, कहा- ये कैसा लोकतंत्र है, प्रदेश की जनता के साथ हुई बेईमानी
-
नेशनल3 days ago
महाराष्ट्र के रुझानों में महायुति को प्रचंड बहुमत, MVA को तगड़ा झटका
-
खेल-कूद3 days ago
IND VS AUS : दूसरी पारी में मजबूत स्थिति में भारत, केएल राहुल और यशस्वी ने जड़ा अर्धशतक
-
अन्तर्राष्ट्रीय3 days ago
पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार