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लाइफ स्टाइल

जावेद हबीब की इन टिप्स को आजमाएं, गर्मियों में दमकते रहेंगे बाल

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नई दिल्ली। गर्मियों में बालों तथा त्वचा में नमी की कमी की वजह से यह निर्जीव जैसे हो जाते हैं। बालों में शुष्कता, दो मुंहे बाल, नीरसता तथा बालों की रूसी, बालों का झडऩा गर्मियों में बालों में आम समस्या है। हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब का कहना है कि कुछ साधारण आयुर्वेदिक नुस्खों से बालों की सभी समस्याओं से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है। हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब के अनुसार, बाजार में मिलने वाले रासायनिक उत्पाद कुछ समय के लिए तो बालों को चमकदार बनाए रखने में मददगार साबित हो सकते हैं, पर इनके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, जबकि घरेलू आयुर्वेदिक पदार्थो से बालों को बिना किसी साइड इफेक्ट के प्रकृतिक तरीके से निखारा जा सकता है।

उनका कहना है कि बालों में खुश्की के समाधान के लिए कंडीशनर, हेयर स्पॉ तथा दूसरे रसायनिक पदार्थ व उपचार केवल अस्थायी तौर पर ही प्रभावकारी साबित होते हैं। बालों की खुश्की के प्रभावी तथा दीर्घकालीन उपाय के लिए प्रीकंडीशनिंग बेहतर है। बाल धोने से पांच मिनट पहले तेल मालिश करें। सरसों का तेल प्री कंडीशनिंग में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इससे बालों की शुष्कता से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है।

हबीब का सुझाव है कि बालों की प्रकृति तैलीय या सामान्य होने पर मेहंदी में एक चम्मच दही तथा पानी मिलाकर बनाया गया पेस्ट लगाना चाहिए। यह बालों के प्रकृतिक रंग को चमकदार बनाता है। इस मिश्रण को बालों पर 15 मिनट तक लगा रहने के बाद बालों को साफ, ताजे पानी से धो लेना चाहिए।

दो मुंहें बालों की समस्या का अभी तक कोई प्रभावी उपचार नहीं ढूंढा गया है। ऐसे में बालों को नियमित समय पर कटवाते रहना तथा प्रीकंडीशनिंग, दोनों ही प्रभावी उपाय माने जाते हैं।

रूसी की समस्या से मुक्ति के लिए महीने में दो बार हल्दी में पानी मिलाकर बने पेस्ट या लेप को सिर पर 10 मिनट तक लगाने के बाद बालों को साफ एवं ताजे पानी से धो लेना चाहिए। बालों की रूसी में हल्दी रामवाण का काम करती है।

यदि बालों में तैलीय रूसी की समस्या है तो प्रतिदिन बाल धुलने चाहिए और सिर पर किसी भी हेयर केयर पैक का उपयोग नहीं करना चाहिए। तैलीय रूसी में चर्मरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

हबीब के अनुसार, यूं तो सिर के बाल हर मौसम में झड़ते हैं, लेकिन गर्मी व बरसात में यह बढ़ जाता है। इसकी एक वजह गर्मियों में अधिक पसीना निकलना भी है। इसलिए जरूरी है कि शरीर में पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ रहे। इसके लिए पानी, जूस, नारियल पानी आदि भरपूर मात्रा में लेते रहें।

साथ ही संतुलित आहार, नियमित तौर पर बाल कटवाने, बालों को साफ रखने तथा प्री-कंडीशनिंग से भी बालों को गिरने से प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है।

उन्होंने बताया कि बालों को नियमित तौर पर कटवाने से सिर पर बालों का वजन कम हो जाता है, जिससे बाल गिरना रुक जाता है।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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