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लाइफ स्टाइल

बचपन की सुनहरी यादों को ताजा करना है तो आइए अप्पूघर

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नई दिल्ली/गुरुग्राम। एक समय था, जब चीजें आज से बिल्कुल अलग थीं। छुट्टियों में बच्चे पूरे समय खेल के मैदान और पार्क व सडक़ों पर खेलते थे। अगर आपको लगता है कि ऐसा फिर से कभी नहीं हो पाएगा, तो आपके लिए सरप्राइज है! 42 एकड़ में फैला अप्पूघर का नया अवतार आपकी पुरानी यादें ताजा करने के साथ ही, देश की नई पीढ़ी के साथ नई यादें बनाने का मौका भी देता है।

आज भारत में बचपन डिजिटल डिवाइसों और ऑनलाइन स्क्रीन तक सिमटकर रह गया है। पहले के जमाने में बच्चों के लिए ‘बाहर जाने’ का मतलब पास के मॉल में जाना नहीं था, बल्कि इसका अर्थ था किसी मनोरंजन पार्क जैसे अप्पूघर में जाकर आनंददायक अनुभव लेना। इसलिए इंटरनेशनल रिक्रिएशन और एम्यूजमेंट लिमिटेड के संरक्षण में 2014 में फिर से अप्पूघर नए रूप में गुरुग्राम (गुडग़ांव) में शुरू किया गया।

शहर के कार्पोरेट हब के नजदीक होने के कारण यह युवा व्यवसायियों के लिए तनाव कम करने और दोस्तों के साथ मजा करने के लिए एक प्रसिद्ध स्थान के रूप में उभरा है।

अप्पूघर में कई रिकॉर्ड-होल्डिंग राइड्स के साथ ही कई उत्कृष्ट मनोरंजन व फुरसत के विकल्प मौजूद हैं। इस अप्पूघर में न केवल पहले वाले अप्पूघर में शामिल राइड्स के साथ विदेशों में प्रचलित राइड को शामिल किया गया है। जो इसे परिवारों के लिए समान रूप से एक स्फूर्तिदायक और मनोरंजक गेटवे बनाता है।

इस मनोरंजन पार्क को क्या आकर्षक रूप में प्रस्तुत करता है। इस बारे में कंपनी के जनरल मैनेजर सौरभ कुमार ने कहा, “30 साल पहले इसके लांच से ही, अप्पूघर पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए दोस्तों और परिवार के साथ खुशियों भरी यादों का पर्यायवाची रहा है। यह दिल्ली/एनसीआर क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध लैंडमार्क्?स में से एक रहा है।”

उन्होंने कहा, “हम इसके मूल तत्व को फिर से स्थापित करना चाहते हैं। लेकिन साथ ही नई उम्र के मेहमानों के विकसित मनोरंजन अनुभूतियों को पूरा करने के लिए मनोरंजन और छुट्टी की सुविधाएं प्रदान करना चाहते हैं। इसी वजह से हमने गुडग़ांव में यह अत्याधुनिक अप्पूघर शुरू किया जहां रोमांचक राइड्स और प्रीमियम आकर्षण मौजूद हैं।”

सौरभ ने कहा, “अप्पूघर को दोबारा शुरू करने के बाद हमें इसके दर्शकों से जो प्यार और प्रतिक्रिया मिली है, वह इस प्रयास की सफलता की साक्षी है, साथ ही उस प्रसिद्धि का भी, जो इस ब्रांड को इसके लक्षित दर्शकों से मिली है।”

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लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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