प्रादेशिक
सीएसआईआर आईआईटीआर ने किया कार्यशाला का आयोजन
सीएसआईआर की पहल ‘जिज्ञासा’
लखनऊ। सीएसआईआर आईआईटीआर ने सफलतापूर्वक अपनी तरह की पहली कार्यशाला ‘बी ए साइंटिस्ट’ का आयोजन किया। इसमे स्कूल के विद्यार्थियों को सीएसआईआर की पहल ‘जिज्ञासा’ कार्यक्रम के अंतर्गत वैज्ञानिक अनुसंधान का अनुभव करने के लिए प्रयोगशालाओं में एक दिन काम करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
इस कार्यक्रम के बाद छात्रों को एपिक (पीपुल्स इनोवेशन एंड क्रिएटिविटी का सशक्तीकरण) प्रोग्राम में उनके नए विचारों के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी देने के लिए कहा गया।
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लखनऊ के आंचलिक विज्ञान नगरी के निदेशक डॉ॰ राज मेहरोत्रा की अगुवाई तथा सीएसआईआर आईआईटीआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन की अध्यक्षता में गठित एक विशेषज्ञ समिति ने सभी प्रस्तुत प्रस्तावों का मूल्यांकन किया और 2 से 4 हफ्तों के शोध कार्यक्रम के लिए निम्नलिखित 19 विद्यार्थियों का चयन किया।
चयनित छात्र हैं अरनव हजरा, आद्या शर्मा, आर्यन धावन, अक्षत मिश्रा, अप्रमेय आइयांगार, देविशी कपूर, कवीश श्रीवास्तव, कोहिना पांडे, मयूख रस्तोगी, प्रखर सक्सेना, रिया जोतवानी, शिनो ओमन, शिवांश जायसवाल, श्रेया शुक्ला, सैयद अली जिब्रान रिजवी, टूबा रिजवी, उत्कर्ष ओझा, यश निगम और योगेंद्र कुमार शर्मा चयनित छात्र लखनऊ और कानपुर, उप्र के निम्न 12 स्कूलों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आर्मी पब्लिक स्कूल, सेंट्रल एकेडमी, दिल्ली पब्लिक स्कूल, केन्द्रीय विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय, आईआईटी कानपुर, ला मार्टिनियर कॉलेज, ला मार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज, महर्षि विद्या मंदिर पब्लिक स्कूल, स्प्रिंग डेल कॉलेज, सेंट क्लेयर कॉन्वेंट स्कूल, सेंट जॉर्ज कॉलेज, यूनिटी कॉलेज।
ये नवोदित वैज्ञानिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए पर्यावरण, भोजन और पानी से संबन्धित सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए उपकरणों को डिजाइन करने से लेकर स्मार्ट एप्लिकेशन तक नवीन समाधानों की खोज करेंगे।
उत्तर प्रदेश
कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाला 150 साल पुराना ब्रिटिश कालीन पुल ढहा, किसी तरह की जनहानि नहीं
उन्नाव। उन्नाव-कानपूर को जोड़ने वाला गंगा नदी पर बना ब्रिटिश शासनकाल का ऐतिहासिक पुल मंगलवार को ढह गया। गनीमत रही कि पुल तीन साल पहले ही जर्जर स्थिति के कारण यातायात के लिए बंद कर दिया गया था, जिसके कारण किसी तरह की जनहानि नहीं हुई।
कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाला यह पुल कभी लोगों की लाइफ लाइन था और हजारों लोग इसी पुल के जरिए हर रोज आवागमन करते थे।2021 में पुल जर्जर होने के कारण इस पर चलने वाले आवागमन बंद कर दिया गया था। यह पुल को ब्रिटिश काल में 1874 में अवध एंड रूहेलखंड लिमिटेड कंपनी ने बनवाया गया था। रेजीडेंट इंजीनियर एसबी न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई. वेडगार्ड की देखरेख में 800 मीटर लंबा यह पुल तैयार हुआ था। पुल की आयु 100 वर्ष बताई गई थी, लेकिन यह 150 साल तक खड़ा रहा। इसके बाद पुल की संरचना में गिरावट आनी शुरू हो गई थी।
पुल की संरचना में बड़ी दरारें आने के बाद 5 अप्रैल 2021 को मध्यरात्रि में इसे बंद कर दिया गया। दरारें खासतौर पर पुल की कानपुर तरफ की कोठियों 2, 10, 17 और 22 नंबर की कोठियों में आई थीं। पुल को फिर से चालू करने के लिए इंजीनियरों ने जांच की थी और इस पर आवागमन को चालू रखने लायक नहीं बताया था। पुल पर आवागमन बंद करने के लिए उन्नाव और कानपुर की तरफ पुल पर दीवार खड़ी कर दी गई थी।
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