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बिजनेस

अनिल अंबानी की R-COM पर गहरा संकट, 10 बैंकों का कर्ज बकाया

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नई दिल्ली। अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली टेलीकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (R-COM) पर 10 बैंकों का भारी कर्ज बकाया है। कंपनी इन बैंकों का कर्ज चुका नहीं पा रही है। आरकॉम की इस हालत के कारण कंपनी का शेयर 24 फीसद तक लुढ़का है। वहीं सोमवार को इस ग्रुप की अन्य कंपनियों के शेयर्स में भी तेज गिरावट देखने को मिली है।

अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की हालत क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से कहीं ज्यादा खराब है। अंबानी ग्रुप की यह कंपनी 10 भारतीय बैंकों को लोन की किस्त नहीं चुका पाई है। इनमें से कुछ ने आरकॉम के लोन को अपनी एसेट बुक में ‘स्पेशल मेंशन अकाउंट (एसएमए)’ कैटेगरी में डाल दिया है।

एसएमए लोन वो होते हैं जिसमें कर्ज लेने वाले ने ब्याज नहीं चुकाया होता। अगर तय तारीख से 30 दिनों तक इन लोन का भुगतान नहीं किया जाता तो उसे एसएमए 1 और अगर 60 दिनों बाद उसे एसएमए 2 श्रेणी में डाल दिया जाता है। अगर 90 दिनों के बाद भी बैंक को बकाया वापस नहीं किया जाता तो उसे नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) में डाल दिया जाता है।

केयर और इकरा के रेटिंग घटाए जाने के बाद आरकॉम के शेयर पिछले दो हफ्ते में 20 पर्सेंट गिरे हैं। हालांकि, रेटिंग एजेंसियों के पास एसएमए लोन की जानकारी नहीं है। बैंक आपस में इस इंफॉर्मेशन को शेयर करते हैं और वे आरबीआई को भी इसकी जानकारी देते हैं।

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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