लाइफ स्टाइल
बदलते मौसम में यूं रखें अपने नाखूनों का ख्याल
खूबसूरत नाखून भी आकर्षक व्यक्तित्व का हिस्सा होते हैं, महिलाएं तो खासकर लंबे, मजबूत नाखून पसंद करती हैं, ऐसे में अगर आपके नाखून टूट रहे हैं व इनके बढ़ने की रफ्तार बेहद धीमी है, हल्के गुलाबी रंग से इनका रंग हल्का पीला हो गया है और ये कमजोर होकर आसानी से टूट जाते हैं तो आप जैतून तेल और नींबू के रस का इस्तेमाल कर सकती हैं या अपने हाथों को थोड़े से बीयर में डुबा कर रख सकती हैं, जिससे नाखून चमकदार और मजबूत बनेंगे।
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नाखूनों को स्वस्थ व चमकदार रखने के ये उपाय हैं :
- एक छोटे चम्मच जैतून के तेल में नींबू के रस की कुछ बूंदे मिलाकर इससे नाखूनों की अच्छी तरह से मसाज करें और फिर हाथों के दस्ताने पहन लें। ऐसा करने से आपको इसका प्रभावी असर देखने को मिलेगा।
- दो छोटे चम्मच समुद्री नमक में दो बूंद नींबू का रस या या दो बूंद मर ऑयल और गेंहू के बीज का तेल मिला लें। इस मिश्रण को गुनगुने पानी में डाले और उसमें 10-15 मिनट तक हाथों को भिगोकर रखें, ऐसा हफ्ते में दो बार करें।
- आधे कप बीयर में एक चौथाई कप जैतून तेल और सेब का सिरका मिला लें और इसमें कम से कम 10 मिनट तक हाथों को डुबोकर रखें, जिससे आपके नाखून इस मिश्रण को अच्छे से अवशोषित कर लें।
- अंडे की जरदी और दूध को मिलाकर नाखूनों की मसाज करें, जिससे ये मजबूत और चमदार बनेंगे।
- आप नाखूनों को स्वस्थ रखने के लिए दिन में एक बार वैसलीन भी लगा सकती है।
- एक कप उबले पानी में एक छोटा चमम्च कैमोमाइल और पेपरमिंट टी को मिलाकर इसमें एक या आधे घंटे तक हाथों को भिगोकर रखें और फिर कुछ बूंदे जैतून तेल में दो छोटा चम्मच गेंहू का आटा अच्छे से मिला लें और इसे नाखूनों पर आधे घंटे तक लगा रहने दें, इसे आपके नाखून जल्द ही मजबूत हो जाएंगे।
- नेलपॉलिश रिमूवर में केमिकल होता है, जो न सिर्फ त्वचा को नुकसान पहुंचाता है बल्कि नाखूनों को कमजोर भी करता है। नेलपॉलिश रिमूवर का इस्तेमाल करने के बजाय सस्ते परफ्यूम या नैचुरल नेलपॉलिश रिमूवर का इस्तेमाल करें।
- आप हल्के हाथों से नाखूनों पर नारियल तेल का मसाज भी कर सकती हैं और कुछ मिनटों में ही आपके नाखून सफेद हो जाएंगे और नाखूनों में चमक आने के साथ ही ये मजबूत भी होंगे।
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लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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