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आध्यात्म

द‍क्षिण की काशी‍ में आषाढ़ी एकादशी पर पूजे गए भगवान विट्ठल

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पंढरपुर। आषाढ़ी एकादशी के मौके पर मंगलवार सुबह महाराष्ट्र के पवित्र तीर्थस्थल पंढरपुर में भगवान विट्ठल की पूजा मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और उनकी पत्नी अमृता फड़णवीस ने पूरे भक्ति भाव से की।

यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान कृष्ण के रूप भगवान विट्ठल और उनकी पत्नी रुक्मणी की एक साथ पूजा होती है। इनके अलावा लाखों श्रद्धालु पंढरपुर पहुंचे थे। आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर हर साल यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

द‍क्षिण की काशी‍ में आषाढ़ी एकादशी पर पूजे गए भगवान विट्ठल

मंगलवार तड़के 3 बजे मुख्यमंत्री फडणवीस और उनकी पत्नी अमृता विट्ठल रुक्मिणी की महापूजा में शामिल हुए। पूजा में शामिल होने के बाद सीएम ने कहा कि, “मैं जब भी पंढरपुर आता हूं मुझे खुशी होती है। मैंने विट्ठल भगवान से राज्य में अच्छी फसल और बारिश की कामना की है।”

राज्य परिवाहन निगम की ओर से राज्यभर से आनेवाले वारकरियों के लिए 35 सौ बसों का इंतजाम किया गया था। मंदिर कमेटी ने मुख्यमंत्री से वारकरियों यानी श्रध्दालुओं के रुकने के लिए एक खास सराय बनाने की मांग रखी गई थी, जिसे सीएम ने स्‍वीकार लिया है।

क्‍यों है यह मंदिर खास

पंढरपुर को देश का दक्षिण काशी भी कहा जाता है। यहां भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी का मंदिर है। इसमें भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी के काले रंग की सुंदर मूर्तियां विराजमान हैं।

पंढरपुर को पंढारी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये यात्राएं पिछले 800 सालों से लगातार होता आ रही हैं। विट्ठल रुक्मिणी मंदिर पूर्व दिशा में भीमा नदी के तट पर स्थित है। भीमा नदी को यहां पर चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है।

आषाढ़, कार्तिक, चैत्र और माघ महीनों के दौरान नदी के किनारे बड़ा मेला लगता है। इसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। इन चार महीनों में शुक्ल एकादशी के दिन पंढरपुर की चार यात्राएं होती हैं।

आषाढ़ माह की यात्रा को ‘महायात्रा’ या ‘दिंडी यात्रा’ कहते हैं। इस में महाराष्ट्र समेत देश के कोने-कोने से संतों की प्रतिमाएं, पादुकाएं पालकियों में सजाकर पैदल पंढरपुर आते हैं।

कैसे पहुंचें पंढरपुर

हवाई मार्ग- पंढरपुर से सबसे पास में पुणे का एयरपोर्ट है। पंढरपुर से पुणे एयरपोर्ट की दूरी लगभग 200 कि.मी. है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर सड़क मार्ग से पंढरपुर के विट्ठल रुक्मिणी मंदिर पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग- पंढरपुर से लगभग 52 किमी की दूरी पर कुर्डुवादी का रेलवे स्टेशन है। यहां से पंढरपुर के लिए आसानी से बस मिल जाती है।

सड़क मार्ग- पंढरपुर से पुणे की दूरी लगभग 200 कि.मी और मुंबई की दूरी लगभग 370 किमी है। वहां तक अन्य साधन से आकर सड़क मार्ग से विट्ठल रुक्मिणी मंदिर पहुंचा जा सकता है।

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उत्तर प्रदेश

जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियों का एक्सीडेंट, बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत

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नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह करीब 5 बजे भीषण हादसा हो गया। इस हादसे में जगतगुरु कृपालु जी महाराज की बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत हो गई। इसके अलावा उनकी दो बेटियां गंभीर रूप से घायल हैं। घायल दोनों बेटियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद जगतगुरु कृपालु परिषत की ओर से शोक संदेश भी जारी किया गया है। संदेश जारी करने के बाद भक्तों द्वारा इस घटना को लेकर दुख व्यक्त किया जा रहा है।

दिल्ली जाते समय हुआ हादसा बताया जा रहा है कि मथुरा से जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियां डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. कृष्णा त्रिपाठी और डॉ. श्यामा त्रिपाठी कार से दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए निकलीं थीं। उनके साथ आश्रम से जुड़े अन्य लोग भी मौजूद थे। दिल्ली एयरपोर्ट से उनको फ्लाइट पड़कर सिंगापुर जाना था। कार यमुना एक्सप्रेसवे पर दनकौर कोतवाली क्षेत्र में पहुंची थी। इसी दौरान तेज रफ्तार की एक डीसीएम ने आगे चल रही दोनों कारों में टक्कर मार दिया। टक्कर लगने के बाद कार क्षतिग्रस्त हो गईं।

हादसे में बड़ी बेटी का निधन

हादसे में कृपालु जी की बड़ी बेटी 65 साल की डॉ. विशाखा त्रिपाठी का निधन हुआ है. हादसा दो छोटी बेटियों, डॉ. श्यामा त्रिपाठी व डॉ. कृष्णा त्रिपाठी की हालत गंभीर बताई जाती जा रही है. सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. सिंगापुर जाने के लिए तीनों बहनें फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट के लिए जा रही थीं.

 

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