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मप्र का विधानसभा सत्र सोमवार से, हंगामे के आसार

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भोपाल, 16 जुलाई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 17 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। इस सत्र के काफी हंगामेदार होने के आसार हैं। विपक्ष चेतावनी दे चुका है कि निर्वाचन आयोग द्वारा ‘अयोग्य’ घोषित मंत्री नरोत्तम मिश्रा का सदन में प्रवेश करना वह बर्दाश्त नहीं करेगा।

साथ ही किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई में छह किसानों की मौत और 40 से ज्यादा किसानों की आत्महत्या का मुद्दा पूरी ताकत से उठाएगा। वहीं सत्तापक्ष किसान आंदोलन को हिंसक बनाने के पीछे कांग्रेस का ‘हाथ’ होने का आरोप लगाने से नहीं चूकेगा। विधानसभा का यह सत्र 17 से 28 जुलाई तक चलेगा, इस दौरान 10 बैठकें होंगी। सरकार पूर्व निर्धारित कार्यवाही पूरी कराने का भरसक प्रयास करेगी, मगर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तकरार के आसार भी बन रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के सदन में प्रवेश करते ही ‘अप्रिय स्थिति’ बनने की चेतावनी दे चुके हैं। उनकी चेतावनी के मद्देनजर रविवार को सरकार के तीन मंत्रियों- उमाशंकर गुप्ता, गौरी शंकर शेजवार और विश्वास सारंग ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा को ज्ञापन सौंपकर विधायकों की सुरक्षा की मांग की है।

अजय सिंह का कहना है, एक अयोग्य घोषित व्यक्ति सदन में आएगा, तो क्या यह सदन की मर्यादा के खिलाफ नहीं होगा? अप्रिय स्थिति तो बनेगी ही। मिश्रा के सदन में आने का विरोध सभी सदस्यों को करना चाहिए, भले ही वे सत्तापक्ष के क्यों न हों।

उन्होंने कहा, कांग्रेस सत्र में किसानों के मुद्दे को पूरी ताकत से उठाएगी और सरकार से जवाब मांगेगी कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने के दावों का क्या हुआ? किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार जश्न मनाने के लिए तरह-तरह के आयोजनों में लगी है। यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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