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हेल्थ

अन्‍न को बर्बाद होने से बचाएं क्‍योंकि 20 करोड़ लोग सोते हैं भूखे

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अन्‍न, भोजन, बर्बाद, ग्लोबल हंगर इंडेक्स

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लखनऊ। हमारे शास्‍त्रों में अन्‍न को परब्रह्म माना गया है। यह अन्‍न ही है जो हमारे तन–मन में ऊर्जा का संचार कर इसे भरपूर पोषण देता है। बावजूद इसके जाने–अनजाने हम परब्रह्म रूपी अन्‍न या भोजन को खराब कर इसका अपमान कर देते हैं।

शादी–ब्‍याह और मौज मस्‍ती से भरपूर पार्टियों में हम खाने पीने के स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजनों का आनंद तो लेते हैं लेकिन ज्‍यादा खाने के चक्‍कर में जरूरत से ज्‍यादा भोजन प्‍लेट में परोस लेते हैं। कई बार ऐसा हो जाता है कि पेट तो भर जाता है लेकिन प्‍लेट का खाना खत्‍म नहीं होता। दुर्भाग्‍यवश यही खाना बर्बाद हो जाता है।

यही नहीं, अमूमन हर पार्टियों में इतनी ज्‍यादा मात्रा में भोजन तैयार किया जाता है कि 20 से 30 प्रतिशत और इससे ज्‍यादा भोजन पार्टी खत्‍म होने के बाद भी बच जाता है, जो अक्‍सर बेकार चला जाता है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2016 की रिपोर्ट के अनुसार आजादी के 70 वर्ष बाद भी हमारे देश में 20 करोड़ लोगों को एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता है। यह आंकड़ा हमारी आबादी का 15 प्रतिशत है। इनमें बच्‍चे भी बड़ी संख्‍या में शामिल हैं।

आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत अन्‍न हम जाने–अनजाने में बर्बाद कर डालते हैं, जो बेहद निराशाजनक है।

यदि हम आज से पहल करें और अन्‍न की इस बर्बादी को रोकने के लिए कमर कस लें तो यही भोजन हजारों–लाखों लोगों की पेट की आग बुझाने के काम आ सकता है।

भोजन की बर्बादी रोकने और लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से ‘मुमकिन फाउंडेशन’ लंबे अरसे से अपनी सार्थक भूमिका का निर्वाह कर रहा है। फाइट अगेन्‍स्‍ट हंगर के नारे के साथ ‘मुमकिन फाउंडेशन’ आपको बता रहा है कि आप किस तरह भोजन की बर्बादी रोक सकते हैं–

  1. बाजार से खाने की सामग्री/राशन अथवा अनाज उतना ही लाये जो जल्‍द खराब न हो।
  2. घर में खाना उतना ही बनाएं, जितना जरूरी हो। कोशिश करें कि खाना कम से कम ही बचे। बचे खाने को गाय और अन्‍य जानवरों को खिला दें
  3. भोजन को अपनी प्लेट में उतना ही लें जितना खा सकें। भोजन को प्‍लेट में छोड़कर बर्बाद न करें।
  4. बच्‍चों को थोड़ा–थोड़ा करके ही परोसें। खाना खत्म करने के बाद ही दोबारा परोसें।
  5. घरों में बासी भोजन, फल– सब्जी के छिलकों और अन्य खाद्य पदार्थों को कूड़ेदान में न डालकर जानवरों को खिलाया करें।
  6. भोजन की महत्‍ता न समझने वाले को एक बार विनम्रता से अन्‍न की बर्बादी के बारे में बताएं। याद दिलाएं कि दुनिया में करोड़ों अभागे लोग हैं जिन्‍हें एक बार का भोजन भी नहीं मिलता।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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