प्रादेशिक
मासिक धर्म की जांच को छात्राओं के उतरवाए कपड़े, पूरा स्टाफ टर्मिनेट
मुजफ्फरनगर के आवासीय स्कूल के 9 कर्मचारी टर्मिनेट
मुजफ्फरनगर। जिले की खतौली तहसील स्थित आवासीय स्कूल के 9 कर्मचारियों वाले पूरे स्टाफ को टर्मिनेट कर दिया गया है। इस स्कूल में प्रधानाध्यापक ने 70 लड़कियों को पीरियड यानी मासिक धर्म की जांच के लिए कपड़े उतारने पर मजबूर
किया था।
25 मार्च को घटना की जानकारी सामने आते ही इस आवासीय विद्यालय की प्रधानाध्यापक को टर्मिनेट किया गया था। जिला प्रशासन की ओर से कराई गई जांच में स्कूल के पूरे स्टाफ को ही दोषी पाया गया। इसके बाद स्कूल के 9 लोगों के स्टाफ की सेवा समाप्त कर दी गई। इसमें शिक्षक, अकाउंटेंट, रसोईया, चौकीदार शामिल हैं। इसमें स्थायी और अंशकालिक दोनों तरह के कर्मचारी हैं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रकेश यादव की ओर से स्थायी कर्मचारियों को चिट्ठी भेजकर सेवाएं समाप्त किए जाने की सूचना दी है। वहीं, अंशकालिक कर्मचारियों को फोन पर सेवाएं खत्म कर दी गई है। इनकी चिट्ठी कावंड़ियों की वजह से छुट्टी के चलते अभी नहीं भेजी गई है।
बता दें कि लड़कियों के परिवारीजनों ने एक शिकायत में आरोप लगाया था कि स्कूल की प्रधानाध्यापक ने लड़कियों को कपड़े उतारने पर विवश किया था और आदेश ना मानने पर नतीजे भुगतने की धमकी दी थी। बताया जा रहा है कि स्कूल के टॉयलेट में खून के धब्बे मिले थे।
यह देखकर प्रधानाध्यापक का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था। इस घटना के बाद लड़कियों ने विरोध जताते हुए स्कूल में नारेबाजी की थी।
जिला प्रशासन ने स्कूल की प्रधानाध्यापक-वार्डन की सर्विस तत्काल कार्रवाई करते हुए खत्म कर दी थीं। साथ ही संबंधित थाने में मुकदमा भी कायम कराया गया।
घटना के लगभग तीन महीने बाद मजिस्ट्रेटी जांच की गई। इसमें स्कूल के पूरे स्टाफ को दोषी मानते हुए सभी की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं। हालांकि स्कूल की दो टीचर ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जांच के दौरान एक बार भी उनके बयान नहीं लिए गए। इनका ये भी कहना है कि कार्रवाई करनी थी तो घटना के तत्काल बाद क्यों नहीं की गई।
इन्होंने खुद को निर्दोष बताया। इनका कहना है कि तीन महीने बाद अचानक सेवाएं समाप्त कर उन्हें दोषी की तरह दिखाया जा रहा है।
इन टीचर का ये भी कहना है कि घटना के बाद स्कूल में अधिकतर बच्चे स्कूल छोड़कर चले गए थे। बीते तीन महीने में उन्होंने बड़ी मेहनत कर इन बच्चों की वापसी कराई थी। बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्द्रकेश यादव के मुताबिक मजिस्ट्रेटी जांच में स्टाफ का आपसी तालमेल सही नहीं मिला। इस कारण यह कार्रवाई हुई।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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