प्रादेशिक
हरिद्वार-ऋषिकेश की नि:शुल्क तीर्थयात्रा कराएगी उप्र सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के वरिष्ठ एवं मूल नागरिकों को नौ मार्च से हरिद्वार एवं ऋषिकेश की नि:शुल्क तीर्थयात्रा कराने का निर्णय लिया गया है। चयनित यात्रियों को एक विशेष रेलगाड़ी से आईआरसीटीसी द्वारा रेलवे से चार्टर किया जाएगा, लखनऊ से हरिद्वार तक यात्रा कराई जायेगी।
धर्मार्थ कार्य के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि तीर्थ यात्रियों का चयन जन्मतिथि के आधार पर वरिष्ठता का निर्धारण करते हुए वरिष्ठतम नागरिकों को वरीयता देकर किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस यात्रा के लिए चयनित यात्रियों को यात्रा के दौरान बजट श्रेणी की सुविधाएं दी जाएंगी। यात्रियों को यात्रा के दौरान ट्रैवल किट उपलब्ध कराई जाएगी। यात्रियों द्वारा अपने निवास स्थान से लखनऊ रेलवे स्टेशन तक आने जाने की व्यवस्था स्वयं करनी होगी।
उन्होंने बताया कि यात्रियों को प्रतिदिन सुबह की चाय, सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम की चाय एवं रात का खाना (सिर्फ ट्रेन में) दिया जायेगा। यात्रियों को सिर्फ शाकाहारी भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हरिद्वार में साफ एवं स्वच्छ धर्मशाला/डारमेट्री/होटल बहु साझेदारी के आधार पर उपलब्ध करायी जायेगी। गाड़ी के प्रत्येक कोच में एक टूर सहचर की भी व्यवस्था रहेगी, जो यात्रियों की देखभाल, उनकी समस्याओं का तुरंत निस्तारण, सूचना एवं अन्य व्यवस्थायें सुनिश्चित करेगा।
सहगल ने बताया कि ट्रेन में कुल 1044 यात्रियों के लिये बर्थ आरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान आईआरसीटीसी द्वारा प्रत्येक यात्री का यात्रा दुर्घटना बीमा भी कराया जायेगा।
उन्होंने बताया कि यह सुविधा किसी भी वरिष्ठ नागरिक को जीवनकाल में एक बार ही मिलेगी। उन्होंने बताया कि इच्छुक यात्री एक फरवरी तक अपने जनपद के जिलाधिकारी को अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं। चयनित यात्रियों को उनके चयन एवं संबंधित सूचनायें जिलाधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई जायेंगी।
सहगल ने बताया कि यदि किसी वरिष्ठ आवेदक की पत्नी अथवा पति की अवस्था एवं (निकट संबंधी जैसे पुत्री-पुत्र इत्यादि) निर्धारित वरिष्ठ अवस्था से कम हो तो इस संबंध में नियमों को शिथिल करते हुए पति-पत्नी एक साथ यात्रा कर सकते हैं अथवा निकट संबंधी को साथ में ले जा सकते हैं। इन लोगों को भी विभाग द्वारा नि:शुल्क यात्रा कराई जायेगी।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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