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दीप्ति नवल : ‘इंडस्ट्री में एक खूबसूरत चेहरा आया है’

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नई दिल्ली| हिंदी फिल्मों में अपनी प्रतिभा के बल पर एक दृढ़ पहचान बना चुकीं अनुभवी फिल्म अभिनेत्री दीप्ति नवल एक बहुआयामी शख्सियत की मालकिन हैं। वह कवयित्री हैं, चित्रकार हैं और कुशल छायाकार भी हैं। वह तीन फरवरी को जीवन के 59 वें वसंत में कदम रख रही हैं।

अमृतसर में तीन फरवरी 1957 को जन्मी दीप्ति वैसे तो बचपन से ही फिल्मों में काम करना चाहती थीं, लेकिन अभिनय से उनका परिचय इत्तेफाकन हुआ।

दीप्ति ने एक साक्षात्कार में बताया था, “फिल्म निर्देशक विनोद पांडे अपनी फिल्म ‘एक बार फिर’ में नया चेहरा लेना चाहते थे। मैं विनोद पांडे से मिली। मुझसे मिलते ही उन्होंने तय कर लिया था कि उनकी फिल्म की हीरोइन मैं बनूंगी। इस तरह मुझे फिल्म में कल्पना की भूमिका मिली। मेरे काम की काफी तारीफ भी हुई, सब कहने लगे थे कि ‘इंडस्ट्री में एक खूबसूरत चेहरा आया है’।”

दीप्ति ने न्यूयार्क से स्नातक किया है, जहां पेंटिंग उनका मुख्य विषय था। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद दीप्ति ने वहां रेडियो में काम शुरू किया। एक बार वह छुट्टियां बिताने भारत आई थीं और उसी दौरान दूरदर्शन के लिए दिवंगत अभिनेता फारुख शेख के साथ उन्होंने कार्यक्रम भी किए थे।

फारुख ने ही विनोद पांडे को उनकी फिल्म के लिए दीप्ति का नाम सुझाया था। उन्होंने विनोद से कहा था कि आप जिस लंबे बालों और बड़ी आंखों वाली नायिका की तलाश में हैं, वैसी एक लड़की को मैं जानता हूं। हालांकि ‘एक बार फिर’ में जब दीप्ति को नायिका की भूमिका मिली थी, तब वह श्याम बेनेगल की ‘जुनून’ की शूटिंग कर रही थीं। लेकिन दीप्ति जुनून को अपनी पहली फिल्म नहीं मानती।

उन्होंने साक्षात्कार में बताया था, “फिल्म जुनून में मेरे सिर्फ दो-तीन दृश्य थे, एक में मैं रो रही थी, एक में घूंघट ओढ़े थी, तो कुल मिलाकर करने को कुछ था ही नहीं। अभिनय में मेरी असल शुरुआत ‘एक बार फिर’ से हुई।”

गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली दीप्ति के माता-पिता पेशे से अध्यापक थे। दीप्ति बताती हैं कि उनके मुंबई लौटने के बाद जब उन्होंने माता-पिता को अभिनेत्री बनने का फैसला सुनाया, तो दोनों चिंतित हो गए। उनके पिता ने कहा, “फिल्मों में काम तब तक ही मिलेगा, जब तक तुम अच्छी दिखोगी, लेकिन पेंटिंग आखिरी वक्त तक तुम्हारा साथ देगी।”

दीप्ति कहती हैं, “इसलिए मैंने दोनों काम साथ-साथ करने का निश्चय किया।”

हालांकि बाद में उनके माता-पिता ने जब उन्हें फिल्मों में देखा तो, वे बहुत खुश हुए।

फिल्म ‘एक बार फिर’ वर्ष 1980 में प्रदर्शित हुई थी। उसके बाद दीप्ति ने एक के बाद एक ‘हम पांच’ , ‘चश्मे बद्दूर’, ‘अंगूर’, ‘साथ-साथ’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कथा’, ‘कमला’, ‘मिर्च मसाला’, ‘फिराक’, ‘भिंडी बाजार’, ‘मेमोरीज इन मार्च’, ‘लीला’, ‘शक्ति-द पॉवर’ सहित कई हिंदी फिल्मों में काम किया।

हाल के वर्षो में उन्हें ‘लिसन अमाया’, ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’, ‘बैंग बैंग’, ‘यारियां’, ‘इंकार’, ‘औरंगजेब’ और ‘बीए पास’ जैसी फिल्मों में देखा गया।

दीप्ति गीतकार-लेखक गुलजार की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा भी था, “मैं गुलजार की भक्त हूं। उनकी शायरी में जो रवानगी है वो कहीं नहीं। वो जिस तरह बात कह देते हैं बस पानी की तरह जेहन में भीतर तक उतर जाती है।” उन्होंने गुलजार की फिल्म अंगूर में काम भी किया था।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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