साइंस
प्रयोगशालाओं की जगह लेंगे अब स्मार्टफोन आधारित नैदानिक परीक्षण
न्यूयॉर्क, 12 अगस्त (आईएएनएस)| शोधकर्ताओं ने पाया है कि एक स्मार्टफोन आधारित नैदानिक परीक्षण प्रयोगशाला के स्तर के नतीजे प्रदान कर सकता है, जिसके लिए सामान्यत: महंगी और बड़ी मशीनों की जरूरत होती है। अमेरिका के अर्बाना-चैम्पेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉइस के शोधकर्ताओं ने एक हाथ में पकड़े जाने के आकार के स्पेक्ट्रल विश्लेषक विकसित किया है, जो स्मार्टफोन से जुड़ सकता है और मरीज के खून, पेशाब या लार से नमूनों का विश्लेषण कर सकता है।
लैब ऑन अ चिप पत्रिका में प्रकाशित इस रपट में शोधकर्ताओं ने कहा है कि स्पेक्ट्रल-ट्रांसमिशन-रिफेक्टेंस-इंटेंसिटी (टीआरआई)-एनालाइजर नामक इस उपकरण की कीमत 550 डॉलर है, जो क्लिनिक में खरीदे जानेवाले सामान के हजारों डॉलर की बचत करता है।
प्रोफेसर ब्रायन कनिंघम ने बताया, हमारा टीआरआई विश्लेषक स्विस आर्मी चाकू जैसा है, जो बॉयोसेंसिंग का काम करता है।
उन्होंने कहा, यह चिकित्सा निदान में तीन सबसे अधिक किए जाने वाले परीक्षण को करने में सक्षम है, तो हजारों तरह के पहले से विकसित परीक्षण की जगह यह ले सकता है।
कनिंघम के दल ने टीआरआई एनालाइजर का प्रयोग दो व्यवसायिक रूप से उपलब्ध परीक्षण के लिए किया- पहला परीक्षण गर्भवती महिलाओं में प्रीटर्म गर्भ से जुड़ बायोमार्कर का पता लगाने के लिए तथा दूसरा टेस्ट नवजात शिशुओं में अप्रत्यक्ष रूप से एक एंजाइम की मौजूदगी की जांच के लिए किया गया था, जो सामान्य विकास के लिए जरूरी होता है।
दोनों ही परीक्षण के नतीजे किसी प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण जितने ही सटीक थे।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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