नेशनल
भारतीय जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक
इन चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलासा केंद्र सरकार द्वारा आठ अगस्त को लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में किया गया। जवाब में तमिलनाडु के ईरोड जिले में स्थित सत्यमंगलम उप-कारागारा की भयानक स्थिति पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जहां 16 कैदियों के लिए बने स्थान में 200 कैदियों को ‘ठूसकर’ रखा गया है।
इन आंकड़ों में हालांकि अंधेरे, बदबूदार और बंद स्थान में रहने की तकलीफ का जिक्र नहीं है, जहां निजता नाम की कोई चीज नहीं है, जहां शरीर के अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडराता रहता है और जहां पैसा और ताकत यह सुनिश्चित करता है कि आपको पैर फैलाने के लिए कितनी जगह नसीब होगी और जहां कैदियों के रूप में और मेहमानों के आने का अर्थ है कि आपको खाने और स्वच्छता के साथ और समझौता करना पड़ेगा।
भारत में कैदियों को आमतौर पर बड़ी डॉरमिटरियों में रखा जाता है, जहां कैदियों को गरिमा और रहने की बुनियादी स्थितियों की परवाह किए बिना बेहद कम जगह में रखा जाता है।
यह कैदियों के साथ व्यवहार के संयुक्त राष्ट्र के न्यूनतम मानक मूल्यों के अनुरूप नहीं है, जिसके अनुसार कैदियों के रहने के स्थान के लिए ‘न्यूनतम स्थान, रोशनी, गर्मी और हवादार’ होने की बुनियादी शर्तो का ध्यान रखा जाना चाहिए।
हालांकि, दुनियाभर में जेलों को एक सुधारात्मक व्यवस्था के तौर पर पहचाना जाता है, लेकिन भारतीय जेलें अब भी 123 साल पुराने कानून -‘कारागार अधिनियम’ के तहत संचालित की जाती हैं। जेलें भी अधिनियम की तरह ही जंग लगी और पुरानी हैं, जिन पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। इसका इनमें रहने वाले कैदियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
जेलों के अत्यधिक भरे होने का पहले से ही सीमित जेल संसाधनों पर और भी बुरा प्रभाव पड़ता है और इससे विभिन्न श्रेणियों के कैदियों के बीच फर्क करना भी मुश्किल हो जाता है।
मुल्ला समिति की सिफारिशें लागू करने को लेकर पुलिस शोध और विकास ब्यूरो की रपट में खुलासा हुआ है कि अत्यधिक भरी होने के कारण जेलों में से 60 प्रतिशत में नए कैदियों को कोई विशेष बैरक देना संभव नहीं होता।
इस समस्या को विस्तार से समझने के लिए जेलों के अत्यधिक भरे होने के स्तर से अलग करके देखने की जरूरत है।
अधिकांश भारतीय जेलें औपनिवेशिक काल में बनाई गई थीं और उन्हें लगातार मरम्मत की जरूरत है। इनमें से कुछ में लंबी अवधि तक किसी को नहीं रखा जा सकता। जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता इस लिहाज से और कम हो जाती है, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों में यह तथ्य सामने नहीं आया।
इतना ही नहीं दोषी साबित हो चुके और जिन पर अभियोग चल रहा हो, ऐसे कैदियों को भी अलग-अलग रखा जाना जरूरी है। इसी तरह मानसिक समस्या और संक्रामक रोगों से ग्रस्त कैदियों को भी अलग रखा जाना जरूरी है। कैदियों को इस प्रकार अलग रखने की जरूरत भी कैदियों को रखे जाने की क्षमता को प्रभावित करती है। लेकिन क्षमता दर में इस बात को ध्यान में नहीं रखा जाता।
स्टाफ की अत्यधिक कमी के कारण भी स्थिति अधिक गंभीर है। निगरानी के अभाव में कैदी लंबी अवधि तक अपने बैरकों में कैद रहते हैं। इसके कारण तनाव और हिंसा की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसी घटनाओं के प्रबंधन और रोकथाम के लिए संसाधनों की कमी के कारण भी सुधारात्मक सुविधाओं और निजता की जरूरत पर बेहद कम ध्यान दिया जाता है।
अगर लक्ष्य जेल की स्थितियों को ‘मानवीय’ बनाना है, तो जेलों में अत्यधिक कैदियों की उपस्थिति के मूल कारणों की पहचान जरूरी है। मांग और आपूर्ति दोनों की समस्या स्पष्ट है। एक लाख की आबादी में 33 कैदियों के आंकड़े के साथ भारत में बंदीकरण की दर दुनिया में सबसे कम है। अगर सरकार इन कैदियों को रखने की सही सुविधा प्रदान नहीं कर सकती, तो यह दर्शाता है कि सरकार जेलों और व्यापक तौर पर अपराधिक न्याय को कितनी प्राथमिकता देती है।
सरकार को और जेलें बनाने और वर्तमान में मौजूद जेलों को नया रूप देने की जरूरत है। जेल आधुनिकीकरण योजना, जिसके तहत 125 नई जेलों का निर्माण किया गया था, को 2009 में बंद कर दिया गया। लोकसभा में जब सरकार से इसके पुनरुत्थान के बारे में पूछा गया, तो सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
हालांकि सरकारी आंकड़ों में जेलों के गंभीर स्तर पर भरे होने की चिंतनीय स्थिति का खुलासा हुआ है, लेकिन अब भी स्थिति की गंभीरता पूरी तरह सामने नहीं आई है। सरकार को और जेलें बनाने और उनके संचालन को पारदर्शी और मानवीय बनाने के लिए और कर्मचारियों को नियुक्त करने की जरूरत है।
(राजा बग्गा राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल (सीएचआरआई) में प्रिजन रिफॉर्म एक्सेस टू जस्टिस प्रोग्राम के प्रोग्रामिंग ऑफिसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)
नेशनल
केरल के कन्नूर जिले में चोरों ने व्यवसायी के घर से उड़ाए एक करोड़ रुपये, सोने के 300 सिक्के
कन्नूर। केरल के कन्नूर जिले में चोरों के एक गिरोह ने वालापट्टनम में एक व्यवसायी के घर से एक करोड़ रुपये की नकदी और सोने की 300 गिन्नियां चुरा लिए। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।पुलिस के मुताबिक चोरी की यह घटना उस समय हुई जब व्यवसायी और उसका परिवार एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के मदुरै गए हुए थे। उन्होंने बताया कि चोरी का पता तब चला जब रविवार रात को व्यवसायी का परिवार घर लौटा और लॉकर में रखा कीमती सामान गायब पाया।
सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घर के सभी लोग 19 नवंबर से ही घर से बाहर थे। और संदेह है कि चोरों ने रसोई की खिड़की की ग्रिल काटकर घर में प्रवेश किया। सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा जा सकता है।
चोरों को लिए गए फिंगरप्रिंट
पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि नकदी, सोना और अन्य कीमती सामान आलमारी में बंद करके रखे गए थे। इसकी चाबी दूसरे कमरे में रखी गई थी। पुलिस और ‘फिंगरप्रिंट’ (अंगुलियों के निशान) लेने वाले विशेषज्ञों की एक टीम घर पहुंची और सुबूत एकत्र किए तथा आरोपियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाश अभियान चलाया गया है।
-
लाइफ स्टाइल13 hours ago
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
-
ऑफ़बीट3 days ago
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
-
नेशनल3 days ago
आज शाम दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय जाएंगे पीएम मोदी, कार्यकर्ताओं को करेंगे संबोधित
-
नेशनल3 days ago
संजय राउत को महाराष्ट्र के नतीजे मंजूर नहीं, कहा- ये कैसा लोकतंत्र है, प्रदेश की जनता के साथ हुई बेईमानी
-
खेल-कूद3 days ago
IND VS AUS : दूसरी पारी में मजबूत स्थिति में भारत, केएल राहुल और यशस्वी ने जड़ा अर्धशतक
-
नेशनल3 days ago
महाराष्ट्र के रुझानों में महायुति को प्रचंड बहुमत, MVA को तगड़ा झटका
-
अन्तर्राष्ट्रीय3 days ago
पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार