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बिजनेस

इंफोसिस में फिर नीलकेणी की कमबैक की तैयारी, 2007 तक रह चुके हैं सीईओ

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बेंगलुरू। इंफोसिस के बोर्ड रूम में चल रहे विवाद के चलते कंपनी के शेयर ढलान पर हैं। ऐसे में कंपनी के दर्जन भर से अधिक प्रमुख घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने बुधवार को कंपनी से आग्रह किया कि वे सहसंस्थापक नंदन नीलकेणी को वापस बोर्ड में आने का न्यौता दें।

डीआईआई द्वारा भेजे पत्र में कहा गया है कि आपस में काफी विचार विमर्श के बाद हमारा दृढ़ता से यह मानना है कि इंफोसिस के बोर्ड को नंदन नीलकेणी को वापस उनकी उपयुक्त क्षमता के अनुरूप बुलाना चाहिए।

आईटी दिग्गज के संस्थागत निवेशकों ने बोर्ड से कहा कि हाल की घटनाएं उनके लिए चिंताजनक है। निवेशकों ने संयुक्त पत्र में कहा, “हमारी राय में, उन्हें (नंदन नीलकेणी) विभिन्न हितधारकों, जिसमें ग्राहक, शेयरधारक और कर्मचारी शामिल हैं, का भरोसा है।”

इस 10 अरब डॉलर की सॉफ्टवेयर कंपनी के सात सहसंस्थापकों में 62 वर्षीय नीलकेणी भी शामिल हैं। उन्होंने साल 2009 में सरकार की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईएआई) के पहले अध्यक्ष के रूप में शामिल होने के लिए इंफोसिस उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया था।

नंदन नीलेकणी इससे पहले 2002 से 2007 तक कंपनी के सीईओ रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में कंपनी का शेयर 5 गुना तक बढ़ा था। वहीं नीलेकणी को दोबारा इंफोसिस की कमान दिए जाने की खबरों से कंपनी के स्टॉक में 3 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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