लाइफ स्टाइल
क्यूँ झड़ते है पुरुषों के समय से पहले बेतहाशा बाल, अपनाए ये उपचार
नई दिल्ली | पिछले कुछ वर्षो में भारतीय पुरुषों में समय से पहले ही बाल झड़ने की समस्या में वृद्धि हुई है। बाल झड़ने की शिकायत करने वाले हर 10 लोगों में से करीब आठ पुरुष होते हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, 20 और 30 वर्ष से ऊपर की आयु वाले युवाओं की एक बड़ी तादाद ऐसी है जो बाल उगाने वाली सर्जरी कराना पसंद करते हैं।
किसी व्यक्ति के दिन में यदि 50 से 100 बाल झड़ते हैं तो यह एक सामान्य बात है। लेकिन इससे अधिक बाल गिरना इस बात का संकेत देता है कि सब कुछ ठीक नहीं है।
इस कंडीशन को एलोपेसिया कहते हैं। समय से पहले बालों के झड़ने के लिए जिम्मेदार कारकों में प्रमुख हैं- मानसिक तनाव, धूम्रपान, मदिरा पान, प्रदूषण और अच्छी खुराक की कमी है।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, एलोपेसिया आमतौर पर आनुवांशिक होता है। हालांकि, आज जीवनशैली में परिवर्तन और तनाव के कारण भी युवक इस समस्या में फंस रहे हैं।
बाल गिरने के पीछे अत्यधिक मानसिक या शारीरिक तनाव भी एक बड़ा कारण है। शरीर से आमतौर पर तीन महीनों के अंतराल के बाद बाल गिरते हैं। इसके अलावा, कुछ बीमारियां जो कि विषैले खाद्य पदार्थो से होती है, उनकी वजह से भी बाल गिर सकते हैं।
उन्होंने कहा, तनाव से भरी नौकरी और जंक फूड की खपत से बाल गिरने लगते हैं। इनमें पोषक तत्वों और फाइबर का अभाव होता है।
पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने, धूम्रपान करने और अल्कोहल के अधिक सेवन से भी समय से पहले बालों का झड़ना शुरू हो जाता है।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि बालों की मजबूती के लिए पोषण महत्वपूर्ण है। अस्थि मज्जा को छोड़कर, मानव शरीर का कोई अन्य हिस्सा प्रति माह आधा इंच की गति से नहीं बढ़ता। इसलिए बालों को सही पोषण प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया, जब तक समस्या गंभीर नहीं हो जाती और उपचार की आवश्यकता नहीं होती, तब तक जीवनशैली में परिवर्तन लाकर बालों की समस्या को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
जीवनशैली में साधारण से बदलाव लाकर ऐसा किया जा सकता है, जैसे कि सात घंटे की गहरी नींद, पीने का पर्याप्त पानी, और प्रोटीन युक्त आहार का सेवन।
समय से पहले बालों के झड़ने को रोकने के लिए कुछ युक्तियां :
* सिर की गुनगुने तेल के साथ मालिश करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है और बालों के रोम छिद्र खुले रहते हैं।
* योग और ध्यान जैसी तकनीकों के माध्यम से तनाव कम करने की कोशिश करें। तनावपूर्ण परिस्थितियों से बचें। तनाव हार्मोन, जैसे कि एपिनेफ्रीन और कोर्टिसोल, बालों के प्राकृतिक विकास में हस्तक्षेप करते हैं।
* ताजे फल और सब्जियां खाएं, क्योंकि वे स्वस्थ बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करती हैं। लोहे, जस्ता, प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन का उपभोग करें।
* धूम्रपान करने और एल्कोहल पीने से बचें।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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