लाइफ स्टाइल
लड़कियों से चैट करते वक़्त भूल से भी न करें ये तीन गलतियां, फ़ौरन होंगे ‘BLOCK’
जैसा की हम सभी जानते है कि आजकल की दुनिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो चुकी है। आज हम ऑनलाइन सोशल साइट्स पर इतने मशरूफ हो गए है। कि हमें असल ज़िन्दगी में क्या चल रहा क्या नहीं इससे कोई मतलब ही नहीं होता।
अक्सर देखा जाता है कि लड़के लड़कियों का नंबर मांगने में देरी नहीं लगाते। इतना ही नहीं बल्कि कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि लड़के लड़कियों का नंबर लेकर उन्हे फ़ौरन ही मेसेज करने लगते है।
तो आइये बताते है आपको कि लड़कियों से चैट करते वक़्त आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना होगा-
ये तीन बातें आप दिमाग के कोने में नोट कर लें।
अगर आपने किसी लड़की के नम्बर लिये है तो उसे नंबर लेते ही मैसेज न करे। पहले ये जाने कि ये नम्बर देते टाइम उसका व्यवहार कैसा था। क्या वह नम्बर देते टाइम उत्साहित थी या असहज थी और अगर ऐसा हुआ है तो थोड़ा इन्तजार करे और एक दो दिन के बाद मैसेज करे। अगर आप उसे जल्दी मैसेज करेंगे तो हो सकता है वो आपको चिपकू समझ ले।
आप किसी लड़की को बार-बार मैसेज न करे इससे वो चिढ़ सकती है। क्योकि हो सकता है कि आपके पास टाइम है और उसके पास नहीं है ऐसी स्थिति में वो आपको अवॉइड भी कर सकती है।
शुरुआत के दिनों में हर बात न बताये आप उनसे वही बात करे जो दोनों में सामान है। कोशिश करे कि ऐसे समय में आप उनसे उनकी पसंद कि चीजों के बारे में पूछ सकते है। अगर आप चाहते कि उसका ध्यान आपकी और अट्रैक्ट हो तो आपको बात करने का माहौल खुशनुमा बनाना होगा। क्योकि महिलाओ को ऐसे पुरुष ज्यादा पसंद आते है।
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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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