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कपास और जूट के बैग का इस्तेमाल करें : पार्रिकर

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पणजी, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| महात्मा गांधी के 148वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में सोमवार को गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा कि अगर गोवा की आधी आबादी बायोडिग्रेडेबल (स्वाभाविक तरीके से नष्ट होने वाला) कपास या जूट बैग का इस्तेमाल करना शुरू कर देगी, तो कूड़े का संकट अपने आप खत्म हो जाएगा।

उन्होंने कहा, हमें जरूरत है कि अपने स्वभाव में बदलाव लाए और लोगों को कपास और जूट के बैग्स का प्रयोग करें जो पूरे तरीके से बायोडिग्रेडेबल है और पूरे तरीके से प्राकृतिक तरीके से बने हैं जिन्हें हमारे पूर्वज पहले के जमाने में इस्तेमाल किया करते थे।

पार्रिकर ने पुराने गोवा में एक सम्मेलन में कहा कि ऐसा करने से आधे से ज्यादा कूड़े का संकट खत्म हो जाएगा।

उन्होंने कहा, सम्मेलन में आए लोगों का स्वागत करने के लिए फूलों के गुलदस्तों को प्लास्टिक में लपेटकर नहीं देना चाहिए और तो और, फूलों को प्लास्टिक में लपेटने से भी बचना चाहिए, सिर्फ फूल ही देना चाहिए।

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नेशनल

दिल्ली में सांस लेना है कितना खतरनाक, देखें इस खबर को

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नई दिल्ली। दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में प्रदूषण से लोगों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार सुबह 6 बजे दिल्ली के अधिकतर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के करीब दर्ज किया गया. जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. आज दिल्ली के अलीपुर में AQI 362, आनंद विहार में 393, जहांगीरपुरी में 384, मुंडका में 396, नरेला में 383, नेहरू नगर में 362, पंजाबी बाग में 370, शादीपुर में 398, रोहिणी में 381 और विवेक विहार में 395 दर्ज किया गया. वायु प्रदूषण के कारण कई लोगों को सांस लेने में और आंखों में जलन की परेशानी हो रही है.

जीवन के 12 साल छीन रहा वायु प्रदूषण

बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा माना जाता है। वहीं 51 से 100 एक्यूआई को संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401-500 के बीच एक्यूआई को गंभीर श्रेणी का माना जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली का प्रदूषण लोगों के जीवन के 12 साल उनसे छीन रहा है। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में एक दिन सांस लेने का मतलब है दिन भर में 10 से अधिक सिगरेट के बारबर धुएं को अपने शरीर में लेना। बता दें कि दिल्ली के वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है।

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