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अन्तर्राष्ट्रीय

मानवाधिकार संगठन ने राखिने में सहायता रोके जाने की निंदा की

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नेपेडा, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)| एक मानवाधिकार संगठन ने म्यांमार के हिंसाग्रस्त राखिने प्रांत के रोहिंग्या गांवों में मानवीय सहायता पहुंचाने से रोके जाने पर म्यांमार सेना की आलोचना की है। मानवाधिकार संगठन ‘द बर्मा मानवाधिकार नेटवर्क(बीएचआरएन)’ ने कहा कि अगस्त के अंतिम सप्ताह में राखिने प्रांत में फैली हिंसा के बाद यहां बुठीडौंग नगर निगम के समीप के गांवों में मानवीय सहायता नहीं पहुंचाई जा सकी है।

समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने कहा कि अधिकारियों ने राखिने प्रांत के उत्तर में संयुक्त राष्ट्र को भी वहां सहयता पहुंचाने से रोक रखा है। यहां रोहिंग्या समुदाय की बहुसंख्यक आबादी रहती है।

एनजीओ के अनुसार, केवल स्थानीय संगठन एवं अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति को ही इस क्षेत्र में जाने दिया जा रहा है, लेकिन सभी को बौद्ध बहुल इलाकों में ले जाया जा रहा है।

म्यांमार के राखिने प्रांत में 25 अगस्त को रोहिंग्या उग्रवादियों ने यहां 30 पुलिस चौकियों पर हमला कर दिया था, जिसमें 12 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। इसके बाद सेना ने कथित रूप से नागरिकों को मारा, उनके घर को जलाया और महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था।

इस घटना के बाद फैली हिंसा में पांच लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम भाग कर बंग्लादेश चले गए।

मानवाधिकार संगठन ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी अधिकारी रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर बंग्लादेश जा रहीं नौकाओं को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। बांग्लादेश के अधिकारी रोहिंग्या समुदाय के लोगों पर मादक पदार्थ लाने के आरोप लगा रहे हैं और जो मछुआरे इन लोगों की मदद कर रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। इस वजह से हजारों की संख्या में रोहिंग्या समुदाय के लोग दोनों देशों को विभाजित करने वाली नाफ नदी के पास फंसे हुए हैं।

ऐसा अनुमान है कि इस हिंसा से पहले राखिने प्रांत में करीब 10 लाख रोहिंग्या समुदाय के लोग रहते थे। म्यांमार सरकार इन्हें बांग्लादेश का अवैध प्रवासी मानती है और इनलोगों के साथ वहां काफी भेद-भाव किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र ने इस हिंसा को ‘जातीय नरसंहार’ के रूप में रेखांकित किया था।

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अन्तर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरिया ने टेस्ट किया विस्फोटक ड्रोन, टारगेट पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम

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नई दिल्ली । उत्तर कोरिया के मंसूबे बेहद ही खतरनाक हैं. उसने टारगेट पर सटीक निशाना लगाने के लिए डिजाइन किए गए विस्फोटक ड्रोन का टेस्ट किया है. तानाशाह किम जोंग उन ने इन हथियारों के बड़े पैमाने पर निर्माण में तेजी लाने को कहा है. टेस्ट ऐसे समय में किया है जब अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान निकटवर्ती अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यास में लगे हुए हैं. इसमें एडवांस लड़ाकू जेट विमान और एक अमेरिकी विमानवाहक पोत का यूज किया जा रहा है.

ड्रोन ने लक्ष्यों पर किया सटीक प्रहार

केसीएनए ने बताया कि ड्रोन ने विभिन्न मार्गों से उड़ान भरी और लक्ष्यों पर सटीक प्रहार किया। इसके चित्रों में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ड्रोन से बीएमडब्ल्यू सेडान और टैंकों के पुराने मॉडल को निशाना बनाया गया। किम ने हथियार विकसित करने की प्रक्रिया पर संतोष व्यक्त किया और ‘‘जल्द से जल्द एक श्रृंखला उत्पादन प्रणाली बनाने और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने’’ की आवश्यकता पर बल दिया। किम ने बताया कि कैसे ड्रोन आधुनिक युद्ध में महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। केसीएनए ने किम के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि कई सैन्य गतिविधियों के लिए ड्रोन कम लागत पर बनाना आसान है।

टैंकों के पुराने मॉडल को किया गया टारगेट

सामने आई तस्वीरों से ऐसा लग रहा है कि ड्रोन से बीएमडब्ल्यू सेडान और टैंकों के पुराने मॉडल को टारगेट किया गया. किम हथियार विकसित करने की प्रक्रिया से खुश नजर आए. केसीएनए के अनुसार, किम ने कहा कि मिलिट्री एक्टिविटी के लिए ड्रोन कम लागत पर बनाना आसान है.

 

 

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