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खेल-कूद

सोशल मीडिया ने महिला क्रिकेट को नई पहचान दी : मिताली

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय महिला क्रिकेट टीम को दो बार आईसीसी विश्व कप के फाइनल में पहुंचाने वाली मिताली राज का मानना है कि सोशल मीडिया के उदय से महिला क्रिकेट को काफी पहचान मिली है और इसके कारण काफी लोग महिला खिलाड़ियों को जानने लगे हैं। मिताली ने यह बात फिक्की के महिला संगठन एफएलओ द्वारा महिला खिलाड़ियों के सम्मान के लिए आयोजित कार्यक्रम ‘ब्रेकिंग द बाउंड्रीज’ में कही। एफएलओ ने मिताली और झूलन गोस्वामी को मंगलवार को सम्मानित किया। इस मौके पर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ भी मौजूद थे।

मिताली ने कहा, मैचों का प्रसारण हुआ। इससे काफी फायदा हुआ, लेकिन जो लोग मैच नहीं देख पाए वो सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी ले सकते थे। अब लोग हमें सोशल मीडिया पर भी फॉलो कर सकते हैं और प्रोफाइल देख सकते हैं। हमारे फॉलोअर्स काफी बढ़ गए हैं। इससे महिला क्रिकेट को पहचान बनाने में काफी मदद मिली है।

मिताली की कप्तानी में ही भारतीय महिला टीम ने 2005 में पहली बार आईसीसी महिला विश्व कप में जगह बनाई थी। उन्हीं की कप्तानी में टीम ने दूसरी बार इसी साल एक बार फिर विश्व कप का फाइनल खेला।

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल का मानना है कि महिला क्रिकेट को देश में आगे ले जाने के लिए जरूरी है कि स्कूल स्तर पर ज्यादा क्रिकेट खेली जाए और लड़कियों के लिए ज्यादा से ज्यादा टूर्नामेंट आयोजित किए जाएं।

मिस्टर भरोसेमंद के नाम से मशहूर द्रविड़ ने कहा, यह महिला क्रिकेट की शुरुआत भर है। आगे काफी कुछ होना है। आपको महिला क्रिकेट के विकास के लिए उनके स्तर को और आगे ले जाना होगा और यह तभी हो सकता है जब उन्हें मौके दिए जाएं। जितनी ज्यादा लड़कियां जमीनी स्तर पर खेलेंगी, खेल का स्तर और बेहतर होता जाएगा। स्कूल स्तर पर हमें ज्यादा से ज्यादा लड़कियों की टीमों को खेलने के मौके देने होंगे। हमें इनके लिए ज्यादा से ज्यादा टूर्नामेंट आयोजित कराने होंगे। एक बार जब आप ऐसा माहौल बना देते हैं तो खेल को आगे ले जाना आसाना हो जाता है।

झूलन ने इस मौके पर अपने पुराने दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि एक पेशेवर खिलाड़ी बनने में अंजुम चोपड़ा और पूर्णिमा ने उनकी काफी मदद की।

उन्होंने कहा, मैं जब एयर इंडिया में खेलती थी तब टीम की सीनियर खिलाड़ी अंजुम चोपड़ा और पूर्णिमा ने मेरी काफी मदद की। उससे पहले मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं था। मैं आती थी और गेंदबाजी करके चली जाती थी। मुझे नहीं पता था कि पेशेवर रवैया क्या होता है। उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया, जो मुझे अभी तक काम आता है। एयर इंडिया में खेलते हुए मुझे वहां से काफी कुछ सीखने को मिला। उन लोगों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना मेरे लिए अच्छा साबित हुआ।

झूलन ने साथ ही कहा कि वह जब भी परेशान होती हैं तो स्वामी विवेकानंद की किताबों का सहारा लेती हैं।

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खेल-कूद

महानतम मुक्केबाजों में शुमार माइक टाइसन को यूट्यूबर जेक पॉल के हाथों से मिली हार

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नई दिल्ली। दुनिया के महानतम मुक्केबाजों में शुमार माइक टाइसन को शनिवार को हाई प्रोफाइल फाइट में यूट्यूबर जेक पॉल के हाथों हार मिली। टाइसन 19 साल बाद दिग्गज और प्रोफेशनल बॉक्सर मुकाबला खेलते उतरे थे। वहीं 27 साल के जेक पॉल यूट्यूबर और इन्फलूएंसर हैं जो अब पेशेवर मुक्केबाज बन गए हैं।

टाइसन और पॉल के बीच यह फाइट 8 राउंड तक चला था। टाइसन ने पहला राउंड 10-9 से अपने नाम किया। दूसरे राउंड में वह 10-9 से जीते। तीसरा राउंड पॉल ने 10-9 से अपने नाम किया। चौथे राउंड के स्कोर बराबरी पर था। इसके बाद सभी राउंड पॉल ने अपने नाम किए। मैच जीतने के बाद पॉल ने टाइसन के सामने झुक कर उनका सम्मान भी किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टाइसन को यह फाइट खेलने के लिए 20 मिलियन डॉलर (एक अरब 68 करोड़ रुपए) दिए गए हैं। यानी मैच हारने के बावजूद भी टाइसन को लगभग एक अरब रुपए मिलेंगे।

माइक टाइसन ने अपनी पारंपरिक गाने और ड्रेस के साथ ली एंट्री

उन्होंने अपनी एंट्री फिल कोलिन्स के “इन द एयर टुनाइट” गाने के साथ की। इसके बाद टायसन अपनी पारंपरिक काली पोंचो पहने हुए आए। वे बैकग्राउंड में “वी डोंट गिव ए एफ.” गाना बजाते हुए रिंग में पहुंचे। मैच की शुरुआत रेफरी मार्क कैलो-ओय द्वारा पारंपरिक घोषणाओं के साथ हुई। पॉल ने ब्लू कॉर्नर से शुरुआत की और टायसन ने रेड कॉर्नर से। इस मुकाबले को जज के एकतरफ फैसले के कारण जेक पॉल ने जीत लिया। पॉल ने टायसन पर जीत दर्ज की, क्योंकि जजों ने मुकाबले में उनके पक्ष में 80-72, 79-73, 79-73 अंक दिए।

 

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