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नीतीश हैं ‘छवि कुमार’, शराबबंदी का कर रहे ढोंग : तेजस्वी

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पटना, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भोजपुर में जहरीली शराबकांड के एक आरोपी के साथ की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को ‘छवि कुमार’ बताते हुए जोरदार निशाना साधा है। तेजस्वी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, नीतीश कुमार शराबबंदी का ढोंग कर रहे हैं। जद (यू) के पदाधिकारी ही जहरीली शराब का धंधा कर पार्टी फंडिंग करते हैं। फिर ‘छवि कुमार’ (नीतीश कुमार) उन्हें मुख्यमंत्री आवास बुलाकर ‘सेल्फी’ से नवाजते हैं।

उल्लेखनीय है कि 2012 में भोजपुर जिले में जहरीली शराब से हुई 29 लोगों की मौत के मामले में मुख्य आरोपी राकेश सिंह दो दिन पूर्व अपने एक रिश्तेदार के साथ नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। सिंह ने रिश्तेदार हरिंदर सिंह और नीतीश के साथ सेल्फी ली थी और उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया था। इसके बाद यह तस्वीर वायरल हो गई।

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शराब माफिया और जद (यू) के नेता राकेश सिंह के साथ मुख्यमंत्री की तस्वीर वायरल होने के बाद सवालिया लहजे में कहा कि क्या यह तस्वीर यह साबित नहीं करती कि मुख्यमंत्री शराब को बढ़ावा दे रहे हैं?

उन्होंने कहा, जहरीली शराबकांड के अभियुक्त को सम्मानित क्यों किया गया? नीतीश जी बताएं क्या सुशासन का यही फार्मूला है?

तेजस्वी ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे लोग ही जद (यू) को ‘फंडिंग’ करते हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की यह दोहरी नीति है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि शराबबंदी में गरीबों को जेल भेज दिया जा रहा है, जबकि जहरीली शराबकांड के आरोपी मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी ले रहे हैं।

नीतीश पर पुरानी योजनाओं को ‘रिपैकेजिंग’ कर चेहरा चमकाने का आरोप लगाते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा का कानून पहले से हैं और सभी को इसका समर्थन करते हैं, लेकिन अभियान चलाने के नाम पर अब मुख्यमंत्री अपना चेहरा चमका रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शराबबंदी का सभी लोगों ने समर्थन किया था, लेकिन आज उस कानून को सही ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है, जिस कारण शराबबंदी असफल हो गई है।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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