प्रादेशिक
‘पद्मावती’ को सिक्योरिटी देने से यूपी सरकार का इन्कार, जताई बवाल की आशंका
लखनऊ। यूपी सरकार ने ‘पद्मावती’ की रिलीज को लेकर सूबे में बवाल की आशंका जतायी है। गृह विभाग ने इस संबंध में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि फिल्म की रिलीज से अशान्ति और लॉ-एंड-ऑर्डर की दिक्कतें खड़ी हो सकती है।
गृह विभाग ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को पत्र लिखकर ‘पद्मावती’ फिल्म की कथावस्तु एवं ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोडक़र पेश किये जाने को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शान्ति व्यवस्था पर सम्भावित प्रतिकूल प्रभाव के सम्बन्ध में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) को अवगत कराने का अनुरोध किया है। जिससे फिल्म के प्रमाणन पर निर्णय लेते समय बोर्ड के सदस्य जनभावनाओं को जानते हुए विधि अनुसार निर्णय ले सके।
गृह विभाग ने पत्र में उल्लेख किया है कि संज्ञान में आया है कि फिल्म निर्माताओं द्वारा इस फिल्म को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के समक्ष प्रमाणन हेतु प्रस्तुत कर दिया गया है, जिस पर निर्धारित प्रक्रिया अनुसार बोर्ड द्वारा विचार किया जाना है।
प्रदेश के अभिसूचना विभाग की आख्याओं का हवाला देते हुए प्रमुख सचिव ने अवगत कराया है कि एक दिसम्बर को निर्माता, निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ का देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होना प्रस्तावित है। गत नौ अक्टूबर को इस फिल्म के ट्रेलर के लॉन्च होने के बाद से ही विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य संगठनों ने इसके विरोध में रोष दिखा है।
पत्र में गृह विभाग ने लिखा है कि इन संगठनों द्वारा फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाये जाने की मांग को लेकर बैठक, प्रदर्शन, नारेबाजी, जुलूस, पुतला दहन, ज्ञापन आदि के माध्यम से तीव्र प्रतिक्रिया की जा रही है। इन संगठनों द्वारा रानी ‘पद्मावती’ के चरित्र को गलत ढंग से प्रदर्शित किये गये दृश्यों को फिल्म से हटाने की मांग की जा रही है तथा सिनेमाघरों के प्रबन्धकों/मालिकों से इस फिल्म का प्रदर्शन न करने की अपील भी की जा रही है।
फिल्म के प्रदर्शित होने पर उनके द्वारा सिनेमाघरों में तोडफ़ोड़, आगजनी एवं अन्य ढंग से आंदोलनात्मक कार्यक्ररम आयोजित किये जाने की चेतावनी भी दी गयी है। प्रदेश के अतिरिक्त राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि प्रदेशों में भी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाये जाने को लेकर आन्दोलनात्मक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
गृह विभाग ने अपने पत्र में यह उल्लेख भी किया है कि ‘पद्मावती’ फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने को लेकर कतिपय संगठनों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी थी, जिसको न्यायालय द्वारा इस टिप्पणी के साथ नहीं सुना गया कि इसके लिए राहत का वैकल्पिक पटल उपलब्ध है। अर्थात इस फिल्म के सम्बन्ध में सम्बन्धित पक्ष द्वारा केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के समक्ष आपत्तियां उठायी जा सकती हैं।
गृह विभाग द्वारा पत्र के माध्यम से केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को अवगत कराया गया है कि वर्तमान में प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया गतिमान है, जिसमें 22, 26 एवं 29 नवम्बर को तीन चरणों में मतदान होना है। मतगणना की तिथि एक दिसम्बर, 2017 है। 2 दिसम्बर, 2017 को ही चन्द्रदर्शन के अनुसार बारावफात का पर्व भी पडऩा सम्भावित है, जिसमें पारम्परिक रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा व्यापक रूप से जुलूस आदि निकाले जाते हैं। इस वातावरण में यदि इस फिल्म को ट्रेलर लॉन्च के दौरान प्रदर्शित स्वरूप में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाता है तो, इसके कारण प्रदेश में व्यापक पैमाने पर अशान्ति तथा कानून एवं व्यवस्था की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। स्थानीय निकाय चुनाव तथा बारावफात को देखते हुए शासन-प्रशासन की व्यस्तताओं एवं प्रतिबद्धताओं के दृष्टिगत 1 दिसम्बर से फिल्म का रिलीज होना शान्ति व्यवस्था के हित में नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश
संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद
संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।
इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।
इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।
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