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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत की बड़ी जीत, दलवीर भंडारी दोबारा आईसीजे न्यायाधीश चुने गए

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संयुक्त राष्ट्र, 21 नवंबर (आईएएनएस)| भारत ने उस वक्त एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल की जब उसके दावेदार न्यायाधीश दलवीर भंडारी सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के न्यायाधीश चुने गए। वह दूसरी बार आईसीजे के न्यायाधीश चुने गए हैं।

इस दौड़ में ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड शामिल थे। लेकिन, संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय न्यायाधीश के पक्ष में बहुमत सामने आने के बाद ब्रिटेन ने अपने कदम पीछे खींचते हुए ग्रीनवुड की दावेदारी को वापस ले लिया और इसके बाद भंडारी इस पद पर दोबारा नियुक्त हुए।

भंडारी ने चुनाव के बाद असेंबली चेंबर में आईएएनएस से कहा, मैं उन सभी देशों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरा सहयोग किया। आप जानते हैं, यह एक बड़ा चुनाव था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईसीजे में भंडारी के दोबारा चुने जाने पर उन्हें मंगलवार को बधाई दी।

मोदी ने कहा, उनका दोबारा चुना जाना हमारे लिए गौरवान्वित करने वाला पल है।

मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके विभाग को भी भारत की जीत के लिए उनके ‘अथक प्रयासों’ के लिए बधाई दी।

भंडारी के चुनाव के बाद सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा, वंदे मातरम-भारत ने चुनाव जीत लिया। विदेश मंत्रालय ने किए अथक प्रयास।

उन्होंने विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन की सराहना की।

भंडारी का कार्यकाल फरवरी 2018 से शुरू होगा।

ब्रिटेन के उम्मीदवार द्वारा नाम वापस लिया जाना सुरक्षा परिषद के लिए झटका है क्योंकि सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों और महासभा के सदस्यों में उम्मीदवारों को लेकर टकराव था। ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों का समर्थन हासिल था।

इस पद पर चुनाव के लिए किसी भी उम्मीदवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद, दोनों चेंबर में बहुमत हासिल करना होता है। भंडारी ने दो बैठकों में पहले 11 दौर के मतदान में महासभा में बहुमत हासिल किया जबकि परिषद ने मतदान के 10 दौर में ग्रीनवुड का समर्थन कर भंडारी के राह मुश्किल बनाई।

एक राजनयिक ने कहा, ब्रिटेन को आखिरकार बहुमत के आगे झुकना पड़ा। भारतीयों ने उन्हें झुका दिया।

परिषद के स्थाई सदस्यों में से एक का सदस्य पारंपरिक रूप से आईसीजे में जज होता है। इसे एक अधिकार जैसा मान लिया गया था लेकिन इस बार 193 सदस्यीय महासभा ने अपनी आवाज को पुरजोर तरीके से उठाया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष मिरोस्लाव लाजकैक और सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष सेबस्टियानो कार्डी को लिखे पत्रों में ब्रिटेन के स्थाई प्रतिनिधि मैथ्यू रायक्राफ्ट ने कहा कि उनका देश भारत और ब्रिटेन के बीच करीबी संबंधों को ध्यान में रखते हुए ग्रीनवुड की उम्मीदवारी वापस ले रहा है।

भंडारी का चुनाव भारत के लिए भाग्यशाली साबित हुआ क्योंकि वह आईसीजे में एशियाई सीट लेबनान के वकील से राजनयिक बने नवाज सलाम से हार गए थे। नवाज को संयुक्त राष्ट्र में इस्लामिक सहयोग संगठन से संबद्ध 55 सदस्य देशों का समर्थन हासिल था।

भंडारी को दूसरा मौका सिर्फ इसलिए मिला क्योंकि ब्रिटेन के उम्मीदवार को महासभा में बहुमत नहीं मिला। भंडारी को महासभा में उन देशों का समर्थन मिला जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आज के समय के हिसाब से सही प्रतिनिधित्व वाला नहीं मानते और वे इसके वर्चस्व को चुनौती देने के लिए भंडारी के पक्ष में लामबंद हो गए।

भंडारी को 13 नवंबर को हुए मतदान के आखिरी दौर में 121 वोट मिले। उन्हें 193 सदस्यीय महासभा में दो-तिहाई बहुमत से थोड़े ही कम वोट मिले, जबकि ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद में नौ वोट मिले।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने गुरुवार को भंडारी के लिए दिए गए भोज में 160 देशों के राजनयिकों की मौजूदगी के बाद कहा था, रुख स्पष्ट है। जैसा कि 21वीं सदी में उम्मीद है कि जिस उम्मीदवार को महासभा में अत्यधिक सहयोग मिलेगा, सिर्फ वही उम्मीदवार वैध हो सकता है।

राजनयिकों का कहना है कि ब्रिटेन ने पिछले सप्ताह ही संकेत दे दिए थे कि वह ग्रीनवुड की उम्मीदवारी वापस ले रहा है लेकिन सप्ताहांत में कुछ स्थाई सदस्य देशों द्वारा उनका समर्थन करने की वजह से तस्वीर थोड़ी बदली थी।

नौ नवबंर को हुए मतदान के शुरुआती चार दौर में सलाम के साथ आईसीजे के तीन निवर्तमान न्यायाधीश फ्रांस के अध्यक्ष रॉनी इब्राहिम, सोमालिया के उपाध्यक्ष अब्दुलवाकी अहमद यूसुफ, ब्राजील के एंटोनियो अगस्तो कानकाडो त्रिनडाडे को भी निर्वाचित किया गया था।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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