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राबड़ी देवी ईडी कार्यालय पहुंचीं

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पटना, 2 दिसंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पटना स्थित कार्यालय पहुंचीं। यहां उनसे 2006 आईआरसीटीसी होटल अनुबंध मामले के संबंध में पूछताछ की जा रही है।

निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि ईडी अधिकारियों की एक टीम राबड़ी देवी से पूछताछ कर रही है।

राबड़ी करीब पूर्वाह्न लगभग 11.30 बजे ईडी कार्यालय पहुंचीं। इस दौरान उनके साथ उनकी बेटी और सांसद मीसा भारती भी साथ थी। इस दौरान पत्रकारों ने राबड़ी से कई सवाल किए लेकिन उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।

लालू प्रसाद ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, ईडी का काम है पूछताछ करना। ईडी पूछताछ करेगी लेकिन हम लोग किसी से डरने वाले नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि यह सब साजिश के तहत किया जा रहा है।

गौरतलब है कि राबड़ी के खिलाफ आठ समन जारी किए थे, जिसके बाद वह ईडी कार्यालय पहुंचीं। इससे पूर्व राबड़ी ने सार्वजनिक रूप से एजेंसी के अधिकारियों को चुनौती देते हुए कहा था कि जिन्हें भी उनसे पूछताछ करनी है, वह पटना आकर पूछताछ करें। इसके बाद ईडी ने यह कदम उठाया है।

उल्लेखनीय है कि ईडी ने पहले उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से दो बार पूछताछ की थी।

ईडी तेजस्वी, उनके पिता लालू प्रसाद और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ धन शोधन एक्ट (पीएमएलए) के तहत अनियमितताओं की जांच कर रही है।

सीबीआई ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ पांच जुलाई को भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। यह मामला 2006 का है जब रांची और पुरी में भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के दो होटलों के अनुबंध में कथित अनियमितताएं पाई गई थी। यह ठेका एक निजी कंपनी को दिया गया था। उस वक्त लालू रेल मंत्री थे।

सीबीआई का कहना है कि ठेका सुजाता होटल को दिया गया था। इसके लिए कथित तौर पर पटना में एक भूखंड रिश्वत के तौर पर दिया गया था।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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