मनोरंजन
साउथ सिनेमा की धड़कन सिल्क के हुस्न के थे करोड़ों दीवाने लेकिन ऐसे हुई थी मौत
बॉलीवुड में कई अभिनेत्रियां बेहद कम समय में शोहरत पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है। अक्सर कुछ नई अभिनेत्री डेब्यू फिल्म में ही अंग प्रदर्शन करने में आगे निकल जाती है।
दरअसल वह अपनी सेक्सी इमेज के सहारे अपने फैंस के बीच मशहूर होने की चाह रखती है। 80 के दशक में साउथ फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसी अभिनेत्री थी जिनकी हाट अदाओं पर करोड़ो लोग दीवाने थे। उनकी सेक्सी इमेज को लोग आज भी नहीं भुल सके हैं। यहां बात हो रही है 80 के दशक में साउथ सिनेमा पर राज करने वाली सिल्क स्मिता का। सिल्क स्मिता की शनिवार को 57वीं बर्थ एनिवर्सरी है। साल 2011 में विद्या बालन की फिल्म द डर्टी पिक्चर लोगों ने खूब पसंद की गई थी।
बता दें कि यह फिल्म सिल्क स्मिता के जीवन पर बनी थी। सिल्क का जन्म 2 दिसंबर, 1960 को आंध्र प्रदेश में राजमुंदरी के एल्लुरू में हुआ था। चौथी क्लास के बाद पढ़ाई छोडऩे वाली सिल्क स्मिता ने फिल्मी दुनिया में शुरुआती दिनों में मेकअप असिस्टेंट का काम करने लगी थी। माना जाता है कि वह भी फिल्मों में अपना जलवा दिखाने के लिए सपने देखने लगी। उनकी पहली फिल्म 1978 में कन्नड़ फिल्म बेदी थी। हालांकि वह बाद में वांडीचक्रम (1979)फिल्म में उनको शानदार सफलता मिली है। माना जाता है कि इसी फिल्म के बाद उनका नाम सिल्क पड़ गया। इसके बाद साउथ की फिल्मों केवल सिल्क का ही सिक्का चलता था।
उनके फैन्स इतने ज्यादा बढ़ चुके थे कि हर डायरेक्टर को हर फिल्म में उनका एक गाना रखना बेहद जरूरी हो गया था। आलम तो यह था कि सिल्क हर गाने गाने के लिए 50 हजार रुपए तक लेती थीं। धीरे-धीरे उनकी डिमांड बढऩे लगी।
ऐसे में सिल्क एक दिन में 3-3 शिफ्ट करने को तैयार हो गई थी। हालांकि इसके बाद उनकों काफी धोखा मिला। एक मित्र ने उन्हें लालच के सहारे 2 करोड़ रुपए का घाटा करवाया। इसके बाद सिल्क की जिंदगी बदल गई और मानसिक तौर पर बिमार रहने लगी। 23 सितंबर, 1996 को सिल्क स्मिता ने बड़ी अजीबो-गरीब तरीके से मौत को गले लगा लिया और उनकी लाश उनके ही घर में पंखे से झूलती मिली। उनकी मौत की खबर ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया। अभी तक कोई इस सुसाइड को लेकर कुछ भी नहीं कह पा रहा है। उनके जाने के बाद साउथ की फिल्म जगत में गहरा सदमा लगा।
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उत्तर प्रदेश
डेकोरेटिव लाइट्स से महाकुंभ बनेगा भव्यता का प्रतीक
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार अनेक अभिनव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूरे मेला क्षेत्र को डेकोरेटिव लाइट्स से सजाया जा रहा है। 8 करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल का जाल बिछाया जा रहा है। संगम जाने वाली हर प्रमुख सड़क पर यह अलौकिक पोल और लाइट श्रद्धालुओं का स्वागत करती नजर आएगी। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा।
प्रमुख मार्गों पर अनूठी रोशनी का जादू
अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी की।मंशा के अनुरूप महाकुंभ को भव्य रूप देने के लिए विद्युत विभाग बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है। डेकोरेटिव लाइट्स और डिजाइनर पोल्स उसी का हिस्सा है। मेला क्षेत्र में लाल सड़क, काली सड़क, त्रिवेणी सड़क और परेड के सभी मुख्य मार्गों को आकर्षक डेकोरेटिव लाइट्स से रोशन किया जा रहा है। ये लाइट्स भगवान शंकर, गणेश और विष्णु को समर्पित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराएंगी।
8 करोड़ की भव्य परियोजना
अधिशाषी अभियंता अनूप सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल लगाए जा रहे हैं। इस बार टेंपरेरी की बजाय स्थायी पोल्स का निर्माण किया गया है, जो महाकुंभ के बाद भी क्षेत्र की रौनक बनाए रखेंगे। हर पोल को कलश और देवी-देवताओं की आकृतियों से सजाया गया है, जो मेले के वातावरण को सांस्कृतिक वैभव से भर देंगे। 15 दिसंबर तक सभी डेकोरेटिव लाइट्स का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा, जिसके बाद रात में मेला क्षेत्र की आभा देखते ही बनेगी।
विद्युत विभाग का अभिनव प्रयास
उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए यह विद्युत विभाग की ओर से एक अभूतपूर्व पहल है। आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक प्रतीकों के मेल से यह परियोजना महाकुंभ को विश्वस्तरीय भव्य आयोजन का दर्जा देगी। महाकुंभ के लिए लगाए गए ये डेकोरेटिव पोल्स स्थायी रहेंगे, जिससे क्षेत्र में आने वाले पर्यटक भी लंबे समय तक इस भव्यता का आनंद ले सकेंगे। डेकोरेटिव लाइट्स से सजे इस महाकुंभ में हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गर्व का अनुभव होगा। यह पहल महाकुंभ को भारतीय संस्कृति की भव्यता और आधुनिक विकास का अद्वितीय प्रतीक बनाएगी।
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