प्रादेशिक
अब सुरक्षाबलों की बातचीत नहीं सुन सकेंगे नक्सली
रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में तैनात पुलिस अब डिजिटल वायरलेस सेट और डिजिटल फोन का उपयोग करेगी। इस व्यवस्था के बाद वहां सक्रिय नक्सली अब पुलिस की गोपनीय बातचीत नहीं सुन सकेंगे। शुरू में 500 वायरलेस और फोन खरीदने की योजना है। इसके उपयोग से दो लोगों के बीच बातचीत को डिकोड करना मुश्किल होगा।
पुलिस मुख्यालय में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वित्त एवं योजना संजय पिल्लै ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया है कि खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है। सूत्रों ने बताया कि अभी तक पुलिस के पास पुराने वायरलेस सेट थे। नक्सली एक खास तरह के स्कैनर की मदद से वायरलेस सेट से दूसरे वायरलेस सेट तक संदेश पहुंचने के पहले ही ट्रेस कर लेते थे। इससे पुलिस की मौजूदगी के स्थान की भी जानकारी उन्हें हो जाती थी। कुछ बड़े ऑपरेशनों को नक्सलियों ने इसी का लाभ उठाकर अंजाम दिया था।
डिजिटल वायरलेस सेट की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें दो लोगों के बीच हुई बातचीत कोड में कन्वर्ट होगी जो दूसरी सेट में पहुंचने के बाद ही डिकोड होगी। उसे बीच रास्ते में डिकोड नहीं किया जा सकेगा। इसमें एक वायरलेस सेट की बातचीत दूसरा डिजिटल वायरलेस सेट वाला ही सुन सकेगा। तीसरा व्यक्ति बीच में बातचीत सुन ही नहीं सकेगा। हालांकि डिजिटल वायरलेस सेट और सेलफोन लेने के बाद बस्तर में उसका उपयोग कहां किया जाएगा यह सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह गोपनीय रखा गया है।
पता चला है कि धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा तथा राजनांदगांव में इसका उपयोग किया जा सकता है। इसका कारण यही है कि इन क्षेत्रों में नेटवर्क की स्थिति काफी खराब है। वैसे अभी तक पुराने वायरलेस सेट से नक्सली संदेश को ट्रेस कर सुरक्षाबलों के आने-जाने के रास्ते और सर्चिग आदि का पता आसानी से लगा लेते थे।
उत्तर प्रदेश
कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाला 150 साल पुराना ब्रिटिश कालीन पुल ढहा, किसी तरह की जनहानि नहीं
उन्नाव। उन्नाव-कानपूर को जोड़ने वाला गंगा नदी पर बना ब्रिटिश शासनकाल का ऐतिहासिक पुल मंगलवार को ढह गया। गनीमत रही कि पुल तीन साल पहले ही जर्जर स्थिति के कारण यातायात के लिए बंद कर दिया गया था, जिसके कारण किसी तरह की जनहानि नहीं हुई।
कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाला यह पुल कभी लोगों की लाइफ लाइन था और हजारों लोग इसी पुल के जरिए हर रोज आवागमन करते थे।2021 में पुल जर्जर होने के कारण इस पर चलने वाले आवागमन बंद कर दिया गया था। यह पुल को ब्रिटिश काल में 1874 में अवध एंड रूहेलखंड लिमिटेड कंपनी ने बनवाया गया था। रेजीडेंट इंजीनियर एसबी न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई. वेडगार्ड की देखरेख में 800 मीटर लंबा यह पुल तैयार हुआ था। पुल की आयु 100 वर्ष बताई गई थी, लेकिन यह 150 साल तक खड़ा रहा। इसके बाद पुल की संरचना में गिरावट आनी शुरू हो गई थी।
पुल की संरचना में बड़ी दरारें आने के बाद 5 अप्रैल 2021 को मध्यरात्रि में इसे बंद कर दिया गया। दरारें खासतौर पर पुल की कानपुर तरफ की कोठियों 2, 10, 17 और 22 नंबर की कोठियों में आई थीं। पुल को फिर से चालू करने के लिए इंजीनियरों ने जांच की थी और इस पर आवागमन को चालू रखने लायक नहीं बताया था। पुल पर आवागमन बंद करने के लिए उन्नाव और कानपुर की तरफ पुल पर दीवार खड़ी कर दी गई थी।
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