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अन्तर्राष्ट्रीय

नेपाल : माउंट एवरेस्ट पर एकल पर्वतारोहण प्रतिबंधित

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काठमांडू, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)| नेपाल ने दुर्घटना कम करने और पर्वतारोहण को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से माउंट एवरेस्ट समेत सभी चोटियों पर एकल पर्वतारोहण पर प्रतिबंध लगा दिया है। बीबीसी ने शनिवार को नेपाल पर्यटन बोर्ड के अधिकारियों के हवाले से बताया, नए सुरक्षा नियमों के तहत दिव्यांगों और दृष्टिहीनों के लिए भी पर्वतारोहण प्रतिबंधत कर दिया गया है।

अधिकारी ने बताया, पर्वतारोहण सुरक्षित बनाने और नेपाल के पर्वतों पर मौत की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है। इस सत्र में पर्वतारोहण की कोशिश कर रहे छह पर्वतारोहियों की मौत हो गई, जिसमें 85 वर्षीय मिन बहादुर शेरचान भी शामिल थे। वह एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले सबसे अधिक उम्र के पर्वतारोही बनना चाहते थे।

रपट के अनुसार, इस वर्ष रिकार्ड संख्या में पर्वतारोहियों ने एवरेस्ट फतह करने की कोशिश की।

विश्व प्रसिद्ध स्विस पर्वतारोही उली स्टेक अपनी एकल एवरेस्ट यात्रा के दौरान मारे गए। उन्हें ‘स्विस मशीन’ के नाम से भी जाना जाता था।

अधिकारियों के अनुसार, नए नियमों के तहत विदेशी पर्वतारोहियों को अपने साथ एक गाइड रखना पड़ेगा, जिससे नेपाल के पर्वत गाइडों के लिए नौकरी के नए अवसर भी पैदा होंगे।

रपट के अनुसार, कुछ लोगों ने दिव्यांगों और दृष्टिहीनों के पर्वतारोहण पर प्रतिबंध लगाने के नेपाल सरकार के फैसले का विरोध किया है।

अफगानस्तिान में तैनाती के दौरान अपने दोनों पैर गंवा चुके और एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी कर रहे हरीबुद्धा मागर ने अपने फेसबुक पोस्ट पर इस कदम को ‘भेदभाव पूर्ण’ बताया है। उन्होंने कहा कि यह नाइंसाफी भरा कदम है।

मागर ने कहा, मैं माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करूंगा, चाहे कैबिनेट कोई भी फैसला ले।

काठमांडू पोस्ट की रपट के अनुसार, 1953 में माउंट एवरेस्ट को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी घोषित किए जाने के बाद इसपर चढ़ाई की कोशिश में करीब 300 लोग मारे जा चुके हैं। ऐसा अनुमान है कि पर्वत में अभी भी कम से कम 200 शव दबे हुए हैं।

पर्वतारोहियों की मौत कई वजहों से हो जाती है। इनमें से 20 प्रतिशत से ज्यादा मौत जोखिम या एक्यूट माउंटेन सिकनेस(ऊंचाई पर होने वाली बीमारी) की वजह से होती है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरिया ने टेस्ट किया विस्फोटक ड्रोन, टारगेट पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम

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नई दिल्ली । उत्तर कोरिया के मंसूबे बेहद ही खतरनाक हैं. उसने टारगेट पर सटीक निशाना लगाने के लिए डिजाइन किए गए विस्फोटक ड्रोन का टेस्ट किया है. तानाशाह किम जोंग उन ने इन हथियारों के बड़े पैमाने पर निर्माण में तेजी लाने को कहा है. टेस्ट ऐसे समय में किया है जब अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान निकटवर्ती अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यास में लगे हुए हैं. इसमें एडवांस लड़ाकू जेट विमान और एक अमेरिकी विमानवाहक पोत का यूज किया जा रहा है.

ड्रोन ने लक्ष्यों पर किया सटीक प्रहार

केसीएनए ने बताया कि ड्रोन ने विभिन्न मार्गों से उड़ान भरी और लक्ष्यों पर सटीक प्रहार किया। इसके चित्रों में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ड्रोन से बीएमडब्ल्यू सेडान और टैंकों के पुराने मॉडल को निशाना बनाया गया। किम ने हथियार विकसित करने की प्रक्रिया पर संतोष व्यक्त किया और ‘‘जल्द से जल्द एक श्रृंखला उत्पादन प्रणाली बनाने और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने’’ की आवश्यकता पर बल दिया। किम ने बताया कि कैसे ड्रोन आधुनिक युद्ध में महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। केसीएनए ने किम के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि कई सैन्य गतिविधियों के लिए ड्रोन कम लागत पर बनाना आसान है।

टैंकों के पुराने मॉडल को किया गया टारगेट

सामने आई तस्वीरों से ऐसा लग रहा है कि ड्रोन से बीएमडब्ल्यू सेडान और टैंकों के पुराने मॉडल को टारगेट किया गया. किम हथियार विकसित करने की प्रक्रिया से खुश नजर आए. केसीएनए के अनुसार, किम ने कहा कि मिलिट्री एक्टिविटी के लिए ड्रोन कम लागत पर बनाना आसान है.

 

 

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