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मुख्य समाचार

संसद को हित साधने का मंच न बनाया जाए : उपराष्ट्रपति

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कोलकाता, 30 दिसंबर (आईएएनएस)| उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने यहां शनिवार को कहा कि संसद को राजनीतिक रूप से अपना हित साधने का मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। नायडू ने कहा, राजनीतिक दलों के लिए गंभीर आत्मचिंतन करने का समय आ गया है कि वे संसद को अपनी पार्टी को खुश करने के लिए हो-हल्ला मचाने का मंच नहीं बनाएं।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, देश में शांति, प्रगति और समृद्धि लाने के लिए प्रभावी व पूरी जवाबदेही से संसद का काम-काज चलाना सुनिश्चित करने के सिवा दूसरा विकल्प नहीं है।

कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स के 187वें सालाना समारोह के मौके पर ‘भारत में संसदीय लोकतंत्र को पुनरुज्जीवित करने’ के विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए नायडू ने संसद के काम-काज पर चिंता जाहिर की।

दरअसल, संसद सदस्यों समेत विविध समूहों द्वारा संसद के काम-काम को लेकर आलोचना होने लगी है।

नायडू ने कहा, संसद और राज्यों की विधानसभाओं में जिस तरीके से काम-काज को रहा है, उसको लेकर आलोचना उचित है। आलोचना की वजह हाल के दिनों में संसद के कार्य में हुए परिणात्मक व गुणात्मक ह्रास है।

उन्होंने संसद सत्र के दौरान हंगामे को लेकर चिंता जाहिर की, क्योंकि राजनीतिक दलों का अपने सदस्यों के ऊपर अंकुश नहीं होने की वजह से यह रोज-रोज का मसला बन गया है।

उन्होंने कहा कि विगत वर्षो में विधायी काम-काम और राष्ट्रीय महत्व के अहम मसलों पर बहस के लिए दिए जाने वाले समय में कमी आई है। संसद की बैठकें जब कम दिनों के लिए होती हैं, उस समय भी अक्सर साधारण मुद्दों को लेकर शोरगुल व हंगामे के चलते संसद अक्सर स्थगित करनी पड़ती है।

नायडू ने कहा कि राजनीतिक दलों को महत्वपूर्ण मसलों पर सर्वसम्मति बनाने की जरूरत है, ताकि संसद और विधानसभाओं का कीमती समय उन मुद्दों को लेकर बर्बाद न हो, जिनका हल बहस और बातचीत के जरिए ढूंढ़ा जा सकता है।

उन्होंने कहा, लेकिन दुर्भाग्य से मौजूदा समय में संसदीय लोकतंत्र की कसौटी पर स्वस्थ बहस व बातचीत हंगामे, विरोध और सदन के स्थगन से फीकी पड़ जाती है। ज्यादातर मौके पर संसद में हंगामे से जनता के पैसे की बर्बादी होती है और कामकाज के घंटे कम हो जाते हैं।

यह बात दीगर है कि भाजपा जब विपक्ष में थी, तब वह भी इसी तरह संसद में हंगामा किया करती थी और उस जमात में नायडू भी शामिल रहते थे।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन

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डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।

बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।

 

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